बच्चों को CPC का वफादार बनाना चाहता है China, स्कूलों को जारी आदेश में कहा, ‘वही करें जो Xi Jinping कहते हैं’

बीजिंग: चीन (China) में बच्चों को भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का भक्त बनाने की तैयारी चल रही है. सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की केंद्रीय समिति ने ‘चाइनीज यंग पायनियर्स’ अभियान के तहत वैचारिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें शी जिनपिंग का स्कूलों में गुणगान करने का आदेश भी दिया गया है. दिशानिर्देश में कहा गया है कि बच्चों को राष्ट्रपति के विचारों से अवगत कराने और उनके रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जाए.

आदेश पालन के बारे में बताएं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन (China) की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालय के सभी बच्चों और माध्यमिक विद्यालय के पहले दो वर्षों के बच्चों के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के विचारों से अवगत कराने वालीं कक्षाएं आयोजित करवाई जानी चाहिए. इन कक्षाओं में जिनपिंग के आदेशों को पालन करने की शिक्षा दी जाएगी. बच्चों को बताया जाएगा कि वे केवल वही करें जो जिनपिंग कहते हैं.

CPC कार्यकर्ता भी पढ़ेंगे पाठ
इस नए आदेश के बाद अब चीन के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ‘शी थॉट’ पढ़ाया जाएगा. इतना ही नहीं, सरकारी कर्मचारी और CPC के 9 करोड़ कार्यकर्ताओं को भी इसके बारे में बताया जाएगा. गौरतलब है कि चीन में, राजनयिकों से लेकर अधिकारियों तक सभी को अपनी नीतियों में राष्ट्रपति के विचारों को शामिल करने का दबाव है. चीन में इसे ‘Xi Thought’ का नाम दिया गया है.

यह है Government की मंशा
दरअसल, चीन की सरकार बच्चों को कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार बनाना चाहती है. इसलिए शुरुआत से ही उन्हें यह बताया जाएगा कि जिनपिंग जो कर रहे हैं सही है और उन्हें भी राष्ट्रपति के सिद्धांतों पर चलकर देश की सेवा करनी चाहिए. दिशानिर्देशों वाले दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि बच्चों को बताया जाए कि आज का सुखी जीवन अंतत पार्टी के सही नेतृत्व और समाजवादी व्यवस्था की श्रेष्ठता से आता है.

Media ने फैसले को सराहा

चीनी मीडिया हाउस पीपुल्स डेली (People’s Daily) ने सरकार के इस फैसले को सही ठहराया है. उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी दिशानिर्देशों का मकसद राजनीतिक ज्ञान और मूल्यों के निर्माण को मजबूत करना है. अन्य चीनी अखबारों ने भी सरकार के फैसले को सराहा है. वैसे भी चीन में सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने का अधिकार किसी को भी नहीं है. मीडिया में भी केवल वही खबरें आती हैं, जो सरकार को खुश करे.


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