बजट में हो व्यापारी कल्याण कोष का प्रावधान सब्सिडी खत्म कर दिया जाए फसल का लाभकारी मूल्य

 

भोपाल

व्यापारी कल्याण कोष का प्रावधान किया जाए। ट्रेडिंग हब बनाया जाए। मध्यप्रदेश सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम कर लोगों को महंगाई से राहत दे। सब्सिडी खत्म कर फसल का लाभकारी मूल्य दिया जाए। किसानों को छोटी योजनाओं से ज्यादा लाभ मिले। सरकार अपना खर्च कम करने के लिए छोटे विभागों को दूसरे में मर्ज करके उनकी संख्या कम करे। नवयुवकों के लिए रोजगार के द्वार खोले। यह बात राजधानी के बाजार विशेषज्ञों ने राज्य सरकार द्वारा अगले माह पेश किए जाने वाले बजट के प्रति अपेक्षा जताते हुए कही।

विभिन्न ट्रेडों में जुड़े बाजार जानकारों कहना है कि राज्य सरकार को लघु उद्योगों को प्लांट एवं मशीनरी की लागत से हटकर टर्न ओवर पर 40 फीसदी सब्सिडी दी जानी चाहिए। स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार विभिन्न बीमारियों की एक जैसी रेट लिस्ट जारी करे। उच्च शिक्षा में सब्सिडी खत्म हो और निजी स्कूलों पर सेस लगाया जाए।

पीएचडी चेम्बर के क्षेत्रीय निदेशक आर.जी.द्ववेदी कहते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भी बजट में विशेष प्रस्ताव होना चाहिए। मध्य प्रदेश के 2018 के बजट में ऐसे प्रावधान व योजनाएं हों,जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था बेहतर होने के साथ ही आम लोगों को फायदा हो। किसानों के लिए छोटी-छोटी योजनाएं बनाकर लागू होना चाहिए। सरकार सब्सिडी खत्म कर फसल का लाभकारी मूल्य दें।

भोपाल पेट्रोल-डीजल डीलर मल्टीपर्पज एसोसिएशन के चेयरमैन अजय सिंह ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर अधिरोपित टैक्स को कम करने, हर जिले में कृषि विद्यालय खोलने, महिला सुरक्षा बढ़ाने, किसानों के लिए विशेष योजनाओं के साथ ही शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने पर राज्य सरकार को विशेष जोर देना चाहिए।

– पिछली बजट की घोषणाओं पर अब तक अमल नहीं

मध्यप्रदेश सरकार को रियल्टी क्षेत्र से प्राप्त राजस्व जो मौजूदा में घटा हुआ है में राजस्व वृद्धि दर्ज कराना है तो करों का बोझ कम किया जाए। घोषणाएं सिर्फ  कागजों पर ही नहीं जमीन पर भी उतारा जाए। चर्चाओं और सुर्खियों में रहने वाला मेक इन इंडिया अभियान भी एमएसएमई की सूरत-ए-हाल अब तक बदलने में नाकाम रहा है। पिछली बजट की घोषणाओं ने भले ही एमएसएमई के माथे पर चिंता की लकीरों को कम किया था,लेकिन घोषणाओं पर अब तक अमल न होने से वे जस की तस हैं।

– व्यापारी भविष्य निधि का बजट में हो प्रावधान

केंद्र सरकार द्वारा आमबजट पेश किए जाने के बाद अब प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट पर एक बड़े वर्ग व्यापारी समाज की नजरें टिकी हुर्इं हैं व्यापारी को बजट से बहुत अपेक्षाएं हैं। उनका कहना है कि केंद्रीय बजट ने व्यापारियों को तो निराश किया, लेकिन राज्य सरकार प्रदेश के व्यापारियों को निराश नहीं करें। व्यापारी समुदाय पेश होने वाले बजट के प्रति अपेक्षा जताते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि में अल्प सुधार करके रिटायर्डमेंट के पश्चात पेंशन की व्यवस्था की है तो वहीं गरीब कल्याण कोष के माध्यम से और बहुत सी योजनाओं से गरीबों के हित में सस्ते अनाज से लेकर रोजगार तक की व्यवस्थाएं की हैं। ठीक उसी प्रकार व्यापारियों के हित में भी सरकार कदम उठाए। व्यापारियों की मांग है कि सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में व्यापारियों के हित में व्यापारी भविष्य निधि का प्रावधान किया।

व्यापारियों के कथानुसार उनके द्वारा चुकाए गए कर की एक निश्चित प्रतिशत राशि व्यापारी भविष्य में जमा करके एक निश्चित आयु के पश्चात बतौर पेंशन प्रदान किया जाए। जिस प्रकार कर्मचारी शासन के काम के लिए आठ घंटे का समय देता है उसी प्रकार देश -प्रदेश का व्यापारी भी देश की आर्थिक प्रगति और रोजगार सृजन में बहुमूल्य समय देता है। ऐसे में रिटायर्डमेंट के पश्चात एक निश्चित आयु के बाद सरकार को व्यापारी के भविष्य सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए।

इनका है कहना

–  लघु उद्योग को पहले टैक्स में छूट मिल रही थी। जीएसटी के बाद वह भी बंद हो चुकी है। कई आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं। नए उद्योगों के लिए जमीन नहीं हैं, इसलिए बजट में छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिए जाने का प्रावधान किया है।

योगेश गोयल, उद्यमी, गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र

–  प्रदेश सरकार 30 लाख रुपए तक के मकान की रजिस्ट्री पर डिस्काउंट बढ़ाना चाहिए। इसके लिए सिंगल विंडों  परमिशन भी जरूरी है। इस प्रावधान से तीन साल से जो प्रॉपटी खरीदी में कमी आई है वह बढ़ेगी। वहीं सामान टैक्स कराना भी बेहतर होगा।

संजय जैन,व्यापारी

–  एक तरफ  जहां सब की निगाहें आम बजट पर हैं तो रियल एस्टेट सेक्टर सकारात्मक परिणामों की उम्मीद थामे बैठा है। रियल एस्टेट सेक्टर उम्मीद कर रहा है कि आम बजट बाद सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रहे रियल्टी मार्केट को उबारने वाला होगा है सरकार लोक-लुभावना बजट पेश करेंगी। साथ ही उम्मीद है कि रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा मिलेगा। तो वहीं नियम-कायदों को आसान बनाने का समावेश करेंगी।

मो.वासिक

सचिव, क्रेडाई भोपाल

– रीयल एस्टेट में मंदी होने के कारण सरकार का राजस्व घट रहा है। सरकार को चाहिए कि रीयल एस्टेट में करों का बोझ कम करें और नियमावली में भी संशोधन करते हुए कालोनी डेवलपमेंट कार्य का रास्ता सरल करें। जिस प्रदेश में रीयल एस्टेट का व्यापार फलता-फूलता है उस सरकार के राजस्व में भी अच्छी वृद्धि दर्ज होती है और शहरों के व्यवस्थित विकास का मार्ग भी प्रशस्त होता।

मनोज प्रधान

सीएमडी, शीतल ग्रुप

–  वर्तमान समय में डेवलपर्स, बिल्डर और निवेशक ठंडे पड़े हुए है। अत: बजट लोक लुभावना हो, न किस वसूली करने वाला। राज्य सरकार को चाहिए कि अर्थिक किल्लत से जूझ रहे हैं रियल एस्टेट मार्केट को उबारने बजट के मार्फत राहत का पिटारा खोले। जिसमें नए करारोपण को दूर करते हुए पुरानी दरों वाली कर प्रणाली और टैक्स बोझ का समावेश हो।

विकास शर्मा

सीएमडी, एबी ग्रुप

– अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय के सत्यता की जांच करते हुए टैक्स के रूल्स में राज्य सरकार संशोधन करें। मौजूदा समय में टैक्स प्रणाली व्यवहारिक नहीं होने के जटिल है। करारोपण का बोझ आम उपभोक्ता पर ही नहीं कारोबारियों और व्यापारियों भी जूझ रहे हैं। टैक्स प्रणाली अव्यवहारिक होने से रियल एस्टेट से जुड़े कारोबारी मात खाए बैठे हुए हैं और रियल्टी कारोबारी सुस्ती से जूझ रहा है। इस मार्केट को उबारने सरकार बजट में सरलीकृत नियमावली का समावेश करें।

पी.राजू

डायरेक्टर, वेस्टर्न ग्रुप

– अगर हम मध्यप्रदेश को मेक इन इंडिया के अनुरूप बनाते हुए विकास चाहते हैं तो सर्वप्रथम प्रदेश सरकार को उद्यमियों के अनुकूल कराधान नियमों को लागू करना होगा। बजट में जटिल कर प्रणाली को हटाते हुए टैक्स के बोझ को कम करने का समावेश  हो। तभी हम शेष के 28 प्रदेशों और 7 केंद्र शासित राज्य से प्रतिस्पर्धा की स्थित में रहेंगे। रियल्टी मार्केट को उबारने प्रदेश सरकार लोक लुभावना बजट पेश करना चाहिए।

मनोज मीक

सीएमडी, शुभालय ग्रुप

– बजट में राज्य सरकार को कर ढांचे को सरलीकृत करने के साथ ही व्यापारियों पर कर कानून थोपने की जगह उनकी सहभागिता के साथ प्रस्तावित कानून पर विचार करना चाहिए और व्यापारी भविष्य निधि योजना को लागू करना चाहिए।

नवनीत अग्रवाल, प्रांतीय महासचिव, अखिल भारतीय व्यापार एवं उद्योग मंडल

–  सभी को उम्मीद है कराधान प्रणाली को सरलीकृत करें। ताकि व्यापारियों और आम आदमी में भय व्याप्त न हो।

संजीव गर्ग गांधी, अध्यक्ष, होलसेल सर्राफा एसोसिएशन, भोपाल


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