मोबाइल की तर्ज पर अब बिजली मिलेगी प्रीपेड

ऊर्जा ॥ एक अप्रैल से योजना लागू करने की तैयारी
विशेष संवाददाता ॥ भोपाल
प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज की तरह अब मध्यप्रदेश में बिजली भी प्री पेड रिजार्ज कर सकेंगे। प्रदेश में यह योजना एक अपै्रल से लागू करने की तैयारी हो रही है। इससे हर महीने की गलत रीडिंग, बिल ठीक कराने की झंझट से उपभोक्ताओं को मुक्ति मिल सकती है। हालांकि यह व्यवस्था दो साल पहले ही शुरू हो जानी थी, लेकिन नहीं हो सकी। सबसे खास बात ये है कि प्री-पेड मीटर सुविधा में 25 पैसे प्रति यूनिट बिजली सस्ती मिलेगी।
विभाागीय जानकारी के अनुसार, बिजली कंपनी प्री-पेड मीटर से जुड़े नियम बनाने में जुटी है। जैसे प्री-पेड मीटर की सुविधा कौन लेगा। प्री-पेड बिजली रिजार्च कूपन कितने-कितने रुपए के मिलेंगे। कहां उपलब्ध होगा। इन सभी चीजों को लकर कंपनी की एडवाजरी कमेटी को निर्णय लेना है। अभी उपभोक्ता घर में रहें या बाहर उसे हर माह बिजली का बिल भरना होता है। कई बार महीने भर से ज्यादा लोग घरों में नहीं रहते हैं। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को न्यूनतम 175 रुपए के आसपास बिल का भुगतान करना होता है। प्री-पेड मीटर में ऐसा नहीं होगा। बिजली जलने पर ही रिचार्ज कूपन से बैलेंस कम होगा।
बताया जा रहा है कि बिजली कंपनी हर उपभोक्ता की सालाना औसत खपत का 45 दिन बराबर राशि कंपनी सुरक्षा निधि के तौर पर जमा रखती है। इसके अलावा 10 रुपए मासिक मीटर किराया लिया जाता है। प्री-पेड मीटर में यदि उपभोक्ता मीटर खुद क्रय करता है तो ये दोनों ही शुल्क नहीं देना होगा। किसी उपभोक्ता के घर 200 यूनिट मासिक औसत खपत है तो उसे करीब 2 हजार रुपए सुरक्षा निधि सालभर के लिए एडवांस में जमा करनी पड़ती है। प्री-पेड मीटर में सुरक्षा निधि नहीं जमा करनी पड़ेगी।
स्मार्ट मीटर में मिलेगा विकल्प
केन्द्र सरकार के नए स्मार्ट मीटर में प्री-पेड का विकल्प होगा। बिल का वक्त पर भुगतान नहीं होने पर दफ्तर से कम्प्यूटर के जरिए सप्लाई बंद और चालू हो पाएगी। बिल और मीटर में बढऩे वाले लोड का ब्यौरा भी स्क्रीन में दिखाई देगा। उपभोक्ता स्मार्ट मीटर लगवाने के बाद चाहे तो प्री-पेड की सुविधा ले सकता है। बिजली अधिकारी प्री-पेड मीटर की राशि लेकर उपभोक्ताओं को सुविधा देंगे। उपभोक्ताओं को खुद आवेदन करना अनिवार्य है, तभी इसकी सुविधा मिलेगी।
कंपनी की भी बचत
ठ्ठ 30 फीसदी बिजली बिल की रिकवरी नहीं हो पाती। पूर्व क्षेत्र कंपनी में करीब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेंडिंग होती है।
ठ्ठ करीब 10 रुपए कंपनी को एक बिल के प्रिंट और उसे बंटवाने में खर्च करने पड़ते हैं, यह राशि बचेगी।


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