कॉलेज निर्माण के लिए बीएचईएल नहीं दे रहा एनओसी

भेल जनभागीदारी समिति ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
बीएचईएल प्रबंधन कॉलेज निर्माण के लिए एनओसी नहीं दे रहा है। कालेज निर्माण के लिए एनओसी नहीं देने के कारण कॉलेज भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, भाजपा की प्रदेश मंत्री कृष्णा गौर, एमआईसी सदस्य केवल मिश्रा, कॉलेज के प्राचार्य बीके खजवानिया, प्रो. डॉ. संजय जैन, जनभागीदारी सदस्य रूपेश दीक्षित ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि यहां पर पढ़ाई करने वाले की छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों की सुरक्षा एवं सुविधा को खतरा उत्पन्न हो गया है तथा उनके भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है, जिसके चलते छात्रों, उनके परिजनों तथा शिक्षकों द्वारा निरंतर कॉलेज भवन निर्माण की मांग की जा रही है, परन्तु भेल प्रबंधन के उदासीन एवं लापरवाही रवैया के चलते अनापत्ति प्रदान नहीं करने से कॉलेज का निर्माण कार्य संभव नहीं हो पा रहा है।
प्रतिनिधि मण्डल ने महामहिम राज्यपाल को अवगत कराया कि बीएचईएल में कार्यरत हजारों श्रमिकों, कर्मचारियों-अधिकारियों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान किये जाने के दृष्टिकोरण से वॉर्ड-56 अंतर्गत भेल कॉलेज का निर्माण लगभग 30 वर्ष पूर्व भेल क्षेत्र में रहने वाले श्रमिकों, कर्मचारियों एवं अन्य रहवासियों के बच्चों हेतु शासन द्वारा कराया गया था। इस कॉलेज में वर्तमान में लगभग दो हजार छात्र-छात्रागण शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें भेल के स्थानीय रहवासियों एवं वर्तमान कर्मचारियों के साथ-साथ भेल के रिटायर्ड कर्मचारियों के बच्चे भी अध्ययनरत् हैं। भेल कॉलेज में विज्ञान, कला एवं वाणिज्य विषय की कक्षायें संचालित होती हैं तथा भेल कॉलेज बीएचईएल क्षेत्र का एकमात्र शासकीय स्नातकोत्तर कॉलेज है। साथ ही मप्र शासन द्वारा भेल प्रबंधन को लगभग 6045.180 एकड़ भूमि प्रदान की गई थी, जिसमें से स्नात्तकोत्तर कॉलेज के निर्माण हेतु 10 एकड़ भूमि भेल प्रशासन को प्रदान करते हुये स्नातकोत्तर कॉलेज के निर्माण हेतु सहमति प्रदत्त की गई थी तथा भेल कॉलेज के नवनिर्माण कराये जाने हेतु 7 करोड़ रुपए की राशि भी मप्र शासन द्वारा आवंटित की जा चुकी है, परन्तु भेल प्रशासन द्वारा निर्माण कार्य के लिये अनापत्ति नहीं दी जा रही है एवं जानबूझकर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

राज्यपाल को यह भी अवगत कराया गया कि भेल प्रशासन की इस लापरवाही एवं लेटलतीफी के चलते भेल कॉलेज के छात्र-छात्राऐं एवं शिक्षकगण जर्जर एवं पुराने भवन में पढऩे के लिये मजबूर हैं तथा भेल कॉलेज का जर्जर भवन कभी भी इन लोगों के लिये खतरा साबित हो सकता है। कॉलेज भवन सुविधा एवं सुरक्षा की दृष्टि से षिक्षाग्रहण करने हेतु उपयुक्त नहीं है। म.प्र. शासन द्वारा ही भूमि आवंटित की गई है एवं शासन या अन्य स्तर से कॉलेज के निर्माण हेतु समस्या नहीं होने के उपरांत भी भेल प्रषासन के कुप्रबंधन, नाकारत्मक रवैया एवं लापरवाहीपूर्ण कार्यषैली के कारण निर्माण संभव नहीं हो पा रहा है।


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