संतत्व की प्राप्ति परपीड़ा को हरने से ही संभव

सिद्धभाऊ ने रात 2:30 बजे देखा सेवाभाव
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
सेवासदन में 90वें यूरोलॉजी शिविर ऑपरेशन के बाद भर्ती मरीजों की सेवा को देखने अचानक सिद्धभाऊ ने रात में सेवासदन पहुंचे। होली और धुलेण्डी की दरम्यानी रात 2:30 बजे मूत्र व्याधियों से पीडि़त ऑपरेशन शुदा रोगियों के वार्ड में संत सिद्धभाऊ ने सेवाधारियों की सतर्कता का जायजा लिया। इस दौरान रोगियों को परेशानी न हो, इसका पूरा ख्याल रखा।
भाऊजी ने रोगियों के परिजनों से चर्चा की। एक रोगी के अटेन्डर ने प्रतिक्रिया दी कि पर पीड़ा को हरने के सद्गुणों से ही व्यक्ति में संतत्व का प्रस्सफु टन होता है। अभिभूत यह व्यक्ति बहुत देर तक बिना कुछ कहे संत सिद्ध भाऊ जी की तरफ एक टक निहारता रहा। शिविर के दौरान भाऊजी की चिंता का एक कारण यह भी रहता है कि यदि रात को जिन सेवादारों को रोगियों के देखरेख की जिम्मेदारी दी गई हैं, कहीं वे ही तो सो नहीं रहे हैं। संत हिरदाराम साहिब भी इसी प्रकार अपने जीवनकाल में रोगियों की देखभाल करते थे। सिद्धभाऊ ने भी उन्हीं शिक्षाओं को आत्मसात कर लिया है। केवल यही नहीं धुलेण्डी के दिन सुबह अमेरिका से आए कुछ डॉक्टर एंव पेरामेडिकल स्टाफ अपना काम खत्म करने के बाद स्वदेश वापस लौटने की तैयारी करने लगे तो भाऊ ने उन्हें सम्मानित किया। ये सभी विदेशी चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मिक यहां मिली आत्मीयता से इतने अभिभूत थे कि जाते-जाते उनकी आंखें नम हो गईं।
परिश्रम की तारीफ
मेडिकल मिशन्स फाउन्डेशन अमेरिका की टीम मैनेजर एबिगेल हायो ने कहा कि सेवासदन की टीम ने अथक मेहनत करके रोगियों की सेवा की है और सर्जन्स और चिकित्सा अमले को सहयोग दिया है। जिन रोगियों के ऑपरेशन 26 फ रवरी को हुए थे उनके द्वारा स्वास्थ्य लाभ करने पर उन्हें धुलेण्डी के दिन डिस्चार्ज कर दिया गया था।


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