पानी माफिया पर लगाम लगाएगा नगर निगम

कवायद ॥ प्रति टैंकर टैक्स वसूलने की तैयारी, हार्वेस्टिंग सिस्टम न लगाने वालों पर भी रहेगी निगाह
लिलेश सातनकर ॥ भोपाल
रूफ टॉप रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के मामले में नगर निगम सख्ती नहीं कर पाया है। निर्धारित मानक क्षेत्रों में आने वाले भवनों को बिल्डिग परमीशन देते समय नगर निगम भवन स्वामियों से सुरक्षा निधि जमा कराता है, लेकिन नगर निगम की ओर से ऐसे भवनों की जांच तक नहीं की गई। वहीं दूसरे तरफ भोपाल में पानी माफिया बेखौफ नलकूप खनन कर पानी बेच रहा है। ऐसे सभी पानी माफिया पर नगर निगम प्रशासन अब लगाम लगाने की तैयारी में है। नगर निगम प्रति टैंकर टैक्स वसूलने का प्रस्ताव बना रहा है और अगले बजट में इसे शामिल किया जा सकता है।
नलकूप खनन कर पानी बेचने वालों के लिए कोई नियम-कानून नहीं है। नलकूप खनन कर पानी बेचने वाले अपनी जेबें गर्म कर रहे है, लेकिन जिला प्रशासन व नगर निगम की इस ओर ध्यान ही नहीं है। अब इस संबंध में महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि टैंकर माफिया पर अब लगाम लगाई जाएगी और इनके पंजीयन को अनिवार्य किया जाएगा। साथ ही व्यावसायिक दृष्टि से यदि कोई नलकूप खनन करता है तो उसे नगर निगम से अनुमति लेने के साथ टैक्स भी देना होगा। नगर निगम प्रशासन प्रस्ताव तैयार कर रहा है। भोपाल में 140 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल में बने मकानों में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया है। पिछले 9 साल से ऐसे हजारों मकानों का निर्माण हुआ है, जिन्हें हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बाद नगर निगम से सुरक्षा निधि वापस लेना था। इतना ही नहीं निगम प्रशासन का भवन अनुज्ञा विभाग हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने की श्रेणी में आने वाले मकान मालिकों की सूची तक तैयार नहीं कर पाया है। मप्र भूमि विकास नियम 1984 की धारा 78(4) के अनुसार 140 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंड पर भवन निर्माण में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रबंध करना प्रदेश सरकार ने अनिवार्य किया है। शासन के इस आदेश पर नगर निगम प्रशासन ने भी 26 दिसंबर 2009 को आदेश जारी कर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया है। इस दिनांक के बाद से 140 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भूखण्ड पर भवन निर्माण के लिए नए व पुराने शहर में 3700 अनुज्ञा जारी की गई है। इस श्रेणी में आने मकान मालिकों से नगर निगम ने धरोहर राशि जमा कराई है। 140 से 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वालों से 7000 रुपए, 201 से 300 वर्ग मीटर वालों से 10000 रुपए, 301 से 400 वर्ग मीटर वालों से 12000 रुपए और 401 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वालों से 15000 रुपए धरोहर राशि जमा कराई गई। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने की अनिवार्यता के 9 साल बाद इस श्रेणी में आने वाले भवन मालिकों में से कितनो ने यह सिस्टम लगाया और कितनो ने नहीं, यह जांचने का काम नगर निगम नहीं कर पाया है। नगर निगम भवन अनुज्ञा के अधिकारी ऐसे मकानों का सर्वे करें तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है। नगर निगम ने पिछले 9 सालों में ऐसा एक भी अभियान नहीं चलाया कि ऐसे मकान मालिकों की तलाश कर उन्हें नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करें। नगर निगम ने बिल्डिंग परमीशन में हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने की बाध्यता वाली शर्त तो जोड़ दी और मकान मालिकों से धरोहर राशि जमा कर इतिश्री कर ली है। बरसाती पानी को व्यर्थ बहने से रोकने के लिए सरकार ने योजना बनाई है और इसका पालन नगर निगम को करना है। भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए 140 वर्ग मीटर से बड़े मकानों में रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिम लगाया जाना है। नगर निगम ने यह नियम लागू होने के बाद बिल्डिंग परमीशन नक्शे में भी यह शर्त जोड़ी है।
जल नियामक आयोग बनाने का भी प्रस्ताव
महापौर आलोक शर्मा जल नियामक आयोग बनाने के पक्षधर है। उनका कहना है कि प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। पानी के दाम नियायक आयोग के माध्यम से तय करने के लिए नगर निगम यह प्रस्ताव भेज रहा है। नगर निगम भोपाल शहरवासियों को पीने का पानी उपलब्ध कराने पर लगभग 175 करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन नगर निगम जलदर के रूप में सिर्फ 10 से 12 करोड़ रुपए वसूल कर पाता है। नगर निगम पिछले दस साल से 180 रुपए प्रति माह की दर पर जलदर वसूल रहा है, जबकि निजी कालोनियों में 400 से 500 रुपए वसूले जा रहे है। नगरीय निकाय में सत्ताधारी दल राजनीतिक नफे-नुकसान का आकलन कर पानी के दाम नहीं बढ़ाता, जिसका खामियाजा विकास कार्यों के रूप में देखने को मिलता है और आमजनों को उठाना पड़ता है। महापौर आलोक शर्मा मप्र जल नियामक आयोग बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी जल्द मिलने वाले है।
आपने इस ओर नगर निगम प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। यह सही है कि पानी बेचने वाले भू-जल का दोहन कर रहे है, लेकिन इन पर अंकुश नहीं लगा पाए है। अब ऐसे लोगों पर टैक्स लगाया जाएगा, जो पानी बेचने का काम करते है।
आलोक शर्मा, महपौर


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें