एमपी नगर में स्पॉट फाइन लगाने से कतराता है नगर निगम

भेदभाव ॥ गंदगी फैलाने वाले कारोबारियों पर न फाइन लगता है, न होती है कार्रवाई
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
गंदगी फैलाने वालों को नगर निगम नसीहत दे रहा है, खुले में शौच, गंदगी करने वालों पर स्पाट फाइन भी लगा रहा है, लेकिन इसका खुला मखौल एमपी नगर में उड़ रहा है और नगर निगम को दिखाई भी नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं गंंदगी और नालियों में पॉलीथिन व कचरे फैलाने वाले एमपी नगर जोन-1 के कार डेकोरेट्स के खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं होती। नगर निगम प्रशासन एक तरफ ऐसे व्यवसायी और कारोबारियों पर स्पाट फाइन लगा रहा है, जो गंदगी फैलाते है। नगर निगम प्रशासन ने कारोबारी, हास्पिटल, होटल, दुकानदार, सब्जी विक्रेता जिसके पास से कचरा निकलता है उन्हें डस्टबीन रखना अनिवार्य किया है, लेकिन नगर निगम इसकी निगरानी नहीं कर पा रहा है।
प्रदेश सरकार ने 3 नवंबर 2009 से स्पाट व्यवस्था को लागू किया है। जब से सरकार यह दरें लागू की है, तब से नगर निगम स्पाट फाइन वसूलने में भेदभाव कर रहा है। सड़क, मार्केट, चौक-चौराहे या खुले में शौच करने वालों के खिलाफ रोजाना ही जुर्माना लगाया जा रहा है। नगर निगम भोपाल में रोजाना ही हजारों रुपए जुर्माना वसूला जा रहा है, परन्तु जिस बड़े पैमाने पर जिन क्षेत्र से कचरा निकलता है और व्यवसायी या दुकानदारों द्वारा कचरा सार्वजनिक स्थानों पर फेंका जाता है, उन पर स्पाट लगाने में कोताही बरती जाती है। ऐसा ही स्थान एमपी नगर जोन-1 में कार सजाने वाले कारोबारी है। कार सजाने वालों ने न सिर्फ पार्किंग स्थान को अपने कब्जे में ले रखा है, बल्कि सड़क पर ही अपना कारोबार भी करते है, जिससे आवाजाही में अक्सर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी इस क्षेत्र में नगर निगम की न तो मेाबाइल कोर्ट घूमती है और न ही नगर निगम की टीम ऐसे कारोगारियों पर जुर्माना लगा पा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा स्पाट फाइल की जो दरें लागू की गई है, उसमें सार्वजनिक स्थान पर थूकने पर 100 रुपए, पेशाब करने पर 250 रुपए, शौच करने पर 500 रुपए, अधिसूचित क्षेत्र से हटकर पुश पालन करने या पशु को आवारा छोडऩे पर 1000 रुपए, सार्वजनिक स्थानों पर रासायनिक अवशिष्ठ डालने पर 1000 रुपए, हानिकारक द्रव्य बहाने पर 1000 रुपए और गंदगी फैलाने पर 250 रुपए की दर तय की है। स्पाट फाइन व्यवस्था को और कड़ा करने की योजना थी। जागरूकता के माध्यम से पहले समझाइश दी देने और इसके बाद एक अभियान के रूप में स्पाट फाइल लगाने का काम किया जाना था। नगर निगम प्रशासन सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से स्पाट फाइन व्यवस्था को लागू करने की योजना थी। नगर निगम को ऐसे क्षेत्रों का सर्वे करना था, जहां से कचरा निकलता है। सर्वे के माध्यम से यह समझने का प्रयास किया जा रहा है कि कौन से क्षेत्र से किस प्रकार का कचरा निकलता है और उस कचरे को कैसे एकत्रित किया जा सकता है। नगर निगम प्रशासन ऐसे कारोबारी, दुकानदार, हास्पिटल संचालक, होटल संचालक, सब्जी विक्रेता और हाथ ठेले पर व्यवसाय करने वालों को नोटिस के माध्यम से सचेत करना था कि किसी भी प्रकार के कचरे के लिए डस्टबीन रखे और नगर निगम के कचरा एकत्रित करने वाली टीम के आने पर वह कचरा उसे दे दें। ऐसा नहीं करने पर स्पाट फाइन लगाया जाएगा। बार-बार गलती दोहराने पर न्यायालयीन प्रकरण बनाकर कोर्ट में दे दिया जाएगा।


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