मध्यप्रदेश शामिल हुआ देश के 11 वें अग्रणी राज्यों में राज्य खाद्य प्रयोगशाला की जांच पर अब नहीं होंगे सवाल! मिली एनएबीएल की मान्यता

वाणिज्य प्रतिनिधि.भोपाल
राजधानी के ईदगाह हिल्स स्थित मध्यप्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के राज्य खाद्य प्रयोगशाला भोपाल को एनएबीएल की अधिमान्यता प्राप्त हो गई है। आईएसओ प्राप्त उक्त प्रयोगशाला को अभी तक एनएबीएल प्राप्त नहीं थी लेकिन वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों द्वारा निरीक्षण और अंतिम मूल्यांकन के पश्चात प्रयोगशाला को आईईसी-1725-2005 मानक एवं गुणवत्ता के अनुरूप पाए जाने पर बीते दिनों खाद्य सुरक्षाएवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 43(1) तहत एनएबीएल की मान्यता प्रदान की गई।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन, मध्यप्रदेश के संयुक्त नियंत्रक ब्रजेश सक्सेना और मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डी.के.वर्मा के अनुसार एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होने के बाद मध्यप्रदेश देश का 11 ऐसा राज्य बन गया है जिनकी गिनती अग्रणी राज्यों में होती है और यहां स्थापित परीक्षण प्रयोगशाला में खाद्य पदार्थो की जांच की सुविधा उच्च गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता से परिपूर्ण होगी। श्री वर्मा ने बताया कि एनएबीएल की उपलब्धि हासिल करने के बाद प्रदेश की जनता एवं खाद्य कारोबारियों को निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा।
– प्रदेश में एक प्रयोगशाला जांच में होती है देरी
प्रदेश की एकमात्र फूट टेस्टिंग लैब भोपाल में है। यह लैब फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) द्वारा मान्यता प्राप्त तो है जिसे अब एनएबीएल की अधिमान्यता भी प्राप्त हो गई है। भोपाल स्थित राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में सिर्फ दो फूड एनालिस्ट, 2 केमिस्ट, 3 टेक्निशयन और 4 लैब असिस्टेंट हैं। इनके जिम्मे प्रदेश के सभी 51 जिलों के फूड सैंपलों की जांच होती है। यही सबसे बड़ी वजह है कि कई महीनों तक नमूनों की जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती है।
– प्रस्तावित है प्रदेश में तीन लेबोरेटरी
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के संयुक्त नियंत्रक ब्रजेश सक्सेना के अनुसार विभाग का काम सैंपलिंग करना और उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर केस तैयार करना है। जांच में देरी होती है, समय बचाने के लिए प्रदेश में तीन नई लेबोरेटरी प्रस्तावित है। इसका प्रस्ताव शासन के पास लंबित है।
– 16 राज्यों में नहीं हैं खाद्य जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला
पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होने पर उठे रहे सवालों को लेकर एफएसएसएआई के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों समेत 16 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में इनकी जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला नहीं है। खास बात यह है कि जिन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी ऐसी प्रयोगशाला नहीं है उनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर,असम, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, त्रिपुरा तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। सबसे ज्यादा 18 मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं महाराष्ट्र में हैं। दिल्ली में 11, हरियाणा में आठ तथा कर्नाटक और तमिलनाडु में सात-सात प्रयोगशालाएं मान्यता प्राप्त हैं। केरल, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में पांच-पांच,राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा गुजरात में तीन-तीन तथा पंजाब में दो मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं हैं।
– देश में 219 खाद्य परीक्षण लैब
फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) नई दिल्ली द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत बनाए देश में 219 खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला संचालित है। इनमें 72 सरकारी, एनएबीएल से मान्यता प्राप्त 131 निजी तथा 16 रैफरल लैब है।
– क्वालिटी जांचे बगैर बाजार में आ रहा आयातित माल
आयातित खाद्य पदार्थ खाने लायक हैं भी या नहीं, इसकी जांच के बिना ही बाजार में आ जाते हैं। कैग रिपोर्ट के अनुसार भारत के कुल 635 एंट्री पॉइंट्स में से सिर्फ 21 पर एफएसएसएआई की मौजूदगी है। 135 एंट्री पॉइंट्स पर कस्टम अधिकारी आयातित वस्तुओं की गुणवत्ता जांच कर रहे हैं। यह नियमों के खिलाफ है। यह जांच सिर्फ खाद्य प्रौद्योगिकी, डेयरी प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, तैलीय प्रौद्योगिकी, कृषि विज्ञान के डिग्रीधारी ही कर सकते हैं। आयातित माल बिना एनओसी के ही बाजार में आ रहा है। ऑडिट के अनुसार 9,264 मामलों में सैम्पल लेने वाले अधिकारियों ने एनओसी जारी नहीं किए।
देश में खाने-पीने की चीजों को लाइसेंस देने वाली फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एफएसएसएआई पर कैग ने कई सवाल उठाए हैं। कैग के अनुसार अथॉरिटी की 72 लेबोरेटरी में से 65 एनएबीएल से मान्यताप्राप्त नहीं हैं। फूड बिजनेस ऑपरेटर्स को अधूरे कागजों पर लाइसेंस दिए जा रहे हैं। अथॉरिटी यह सुनिश्चित करने में भी नाकाम रही कि असुरक्षित खाना देश में आयात न हो।

 


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