सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए खोली नई राह

एजेंसी.नई दिल्ली

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वैश्विक निजी बैंकों से जुड़ी इकाइयों के लिए भारतीय बाजार खोल दिया है। सेबी की इस नई पहल के तहत इन इकाइयों को प्रत्यक्ष पंजीयन या अनुपालन संबंधी आवश्यकताओं से नहीं गुजरना पड़ेगा। अब तक विदेशी बैंकों को केवल जायदाद कारोबार करने की ही अनुमति थी। बाजार नियामक ने अब विदेशी बैंकों को उनके जरिये कारोबार करने वाली इकाइयों की तरफ से घरेलू प्रतिभूति बाजार में निवेश करने की भी अनुमति दे दी है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस नए उपाय में निवेश के लोकप्रिय माध्यम पार्टिसिपेटरी नोट की छाप मिलती है। सेबी की यह पहल एक बड़ा बदलाव ला सकता है। क्योंकि इससे नए निवेशकों की भारतीय बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी। इतना ही नहीं, इस माध्यम से निवेशकों को वे सुविधाएं भी मिलेंगी, जो पी-नोट निवेशकों के लिए खत्म कर दी गई हैं।

बड़े आकार के पी-नोट जारी करने वाली सभी इकाइयां सिटी, जेपी मॉर्गन, बीएनपी पारिबा और क्रेडिट सुइस जैसे बैंकों के नियंत्रण में हैं। ये बैंक अपने इन ग्राहकों को पी-नोट के बजाय सीधे उनकी धन प्रबंधन इकाइयों के जरिए निवेश के लिए कह सकते हैं। डेलॉइट इंडिया में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा कि बाजार लंबे समय से निजी बैंकों को उनके ग्राहकों की तरफ  से निवेश की अनुमति देने की मांग करते रहा है। मौजूदा हालात में पी.नोट के जरिये निवेश करने वाली इकाइयां यह रास्ता अपना सकती हैं और भारतीय डेरिवेटिव बाजार में खुलकर कारोबार कर सकती हैं। अगर कोई निवेशक बैंक के जरिये आता है तो उसके लिए नियमों के अनुपालन संबंधी अनिवार्यताएं भी कम होंगी। नए दिशानिर्देश के तहत सभी पी-नोट जारीकर्ताओं को भारतीय धन शोधन निरोधक कानूनों का अनुपालन करने के लिए कहा गया। हालांकि निजी बैंकों के संबंध में जारी परिपत्र में ऐसी शर्तें नहीं रखी गई हैं, यानी उनके लिए अनुपालन संबंधी नियम आसान कर दिए गए हैं।


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