नई दिल्ली: ऐसे लोग जो बैंकों के मर्जर के बाद हेल्थ इंश्योरेंस के बढ़े हुए प्रीमियम से परेशान थे, उनके लिए एक राहत की खबर आई है. अब उन्हें एक जैसे फायदा देने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए पहले की तुलना में ज्यादा प्रीमियम देने की जरूरत नहीं हैं. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने ऐसे लाखों ग्राहकों को राहत देते हुए हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी (Health Insurance Portability) की घोषणा कर दी है.
IRDAI ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है, ‘ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस में बैंकों के द्वारा ग्राहकों को दी गई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) को बैंक से जुड़ी अलग इंश्योरेंस कंपनी के साथ खरीदने के लिए पोर्टेबिलिटी की मंजूरी दे दी गई है. इससे ग्राहक का कवरेज और बेनिफिट जारी रहेंगे.’
ये थी समस्या की वजह
दरअसल, बैंकों के मर्जर के बाद पिछले कुछ महीनों में देशभर से ऐसे कई मामले सामने आए थे जिनमें ग्राहकों को अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में पहले जितना कवरेज और बेनिफिट जारी रखने के लिए तीन गुना तक प्रीमियम भरना पड़ रहा था. ऐसा उन लोगों के साथ हुआ था, जिनके हेल्थ इंश्योरेंस वाले बैंक का दूसरे सरकारी बैंकों में विलय हो गया था और उन्हें सालों से मिलने वाले बेनिफिट खत्म हो गए क्योंकि नए बैंक का ग्राहक से जुड़ी हुई इंश्योरेंस कंपनी के साथ कोई करार नहीं था.
1 अप्रैल 2020 से 10 PSU बैंकों के 4 बड़े बैंकों में मर्ज करने के सरकार के ऐलान के बाद IRDAI ने मर्जर होने वाले बैंकों के ग्राहकों को मौजूदा पॉलिसी को अपने रिन्युअल पीरियड तक संबंधित इंश्योरेंस कंपनी के साथ जारी रखने की छूट दी थी, लेकिन ग्राहकों को पॉलिसी पीरियड खत्म होने के बाद ज्यादा प्रीमियम देकर रिन्युअल कराना पड़ रहा था.
अब मिलेगा ये फायदा
IRDAI के नए नियम से ग्राहक अपनी पॉलिसी को नए बैंक में पोर्ट करा सकेगा और पहले जैसे कवरेज और अन्य लाभ पाना जारी रख सकेगा. जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के संगठन GI काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल सी.आर. विजयन कहते हैं कि मर्ज हुए बैंकों के ग्राहकों की पुरानी पॉलिसियों का रिन्युअल नहीं हो पा रहा था क्योंकि नए बैंक में ग्राहक की इंश्योरेंस पॉलिसी की पुरानी दरें और बेनिफिट नहीं है. अब इस नए नियमों से लाखों ग्राहकों को फायदा होगा.
बैंक अपने डिपॉजिटर्स को इंश्योरेंस पॉलिसी ग्रुप पॉलिसी के तौर पर बेचता है, IRDAI के नियमों के मुताबिक बैंकों को इंश्योरेंस पार्टनर में बदलाव करना था क्योंकि एक बैंक एक सेगमेंट की 3 कंपनियों तक ही पार्टनरशिप कर सकता है लेकिन मर्जर की वजह से IRDAI ने बैंकों को छूट दी.
इन पॉलिसियों पर हुआ था ज्यादा असर
मर्जर के बाद प्रीमियम को लेकर सबसे ज्यादा असर ग्रुप हेल्थ पॉलिसी पर हुआ था, क्योंकि इसमें पोर्टेबिलिटी नहीं होती और बड़ी उम्र में नई पॉलिसी लेने पर काफी ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है. ऐसे में नए सिरे से पॉलिसी लेने पर प्रीमियम काफी ज्यादा हो जाता है.

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