मध्य प्रदेश निकाय चुनाव में हो सकती है देरी! हाईकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

ग्वालियरः हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नगरीय निकाय चुनावों से लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. ग्वालियर खंडपीठ ने नगरीय निकाय चुनावों की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट में मेयर ,नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष पद पर की गई आरक्षण प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी.

दरअसल, एक तरफ मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों की सुगबुगाहट तेज हो गई थी, लेकिन दूसरी तरफ निकाय चुनावों के लिए हुई आरक्षण की प्रक्रिया को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी गयी थी. जिसमें लंबी बहस के बाद कोर्ट ने शासन और याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद निकाय की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

निकाय चुनाव में आरक्षण व्यवस्था को दी गई थी चुनौती
हाईकोर्ट में 10 दिसंबर 2020 निकाय चुनाव के लिए की गई आरक्षण की व्यवस्था को ये कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसमें अध्यक्ष पद का आरक्षण करने में रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया. याचिका में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए हुए आरक्षण को निरस्त करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता मानवर्धन सिंह तोमर का कहना था कि अधिकांश नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष पद लंबे समय से एक ही वर्ग के लिए आरक्षित किए जा रहे हैं. इस वजह से दूसरे वर्ग के लोगों को अध्यक्ष के पद पर प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है.

याचिकाकर्ता ने प्रदेश की 79 नगर पालिका और नगर परिषद के अलावा 2 मेयर सीट का हवाला भी याचिका में दिया था. जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निकाय चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी.

सरकार को रखना होगा अपना पक्ष
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब अब इस याचिका पर सरकार को अपना विस्तृत पक्ष रखना है. इस मामले की अगली सुनवाई अब अप्रैल के महीने में होगी. आपको बता दें कि दो दिन पहले भी हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर जिले की डबरा नगर पालिका और दतिया जिले की इंदरगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर रोक लगा दी थी.

डबल बैंच ने सुनाया फैसला
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बैंच ने सुनवाई के दौरान यह बात मानी कि 10 दिसंबर 2020 को नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया का जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था. उसमें रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया था. जबकि आरक्षण की प्रक्रिया के दौरान रोटेशन पद्धति का पालन किया जाना जरूरी होता है. ऐसी स्थिति में इस मामले में जब तक कोई उचित फैसला नहीं आ जाता तब तक निकाय चुनाव के लिए की गई आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाती है.

बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दल नगरीय निकाय चुनाव कराने की पूरी तैयारी में है. लेकिन जिस तरह से हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने निकाय चुनाव के लिए किए आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाई है, उससे निकाय चुनाव में देरी हो सकती है.


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