मात्र नौ हजार रुपए की लीज पर चल रहा चार एकड़ का कार्मल कान्वेंट

राजधानी में आधा दर्जन नामीगिरामी स्कूल दे रहे हैं नाममात्र का किराया
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
प्रदेश के कितने स्कूल स्वयं की भूमि पर हैं और कितने लीज पर, इसका हिसाब न तो सरकार के पास है और न ही राज्य शिक्षा केंद्र के पास। जबकि राजधानी में ही करीब आधा दर्जन नामीग्रीमी स्कूल नाममात्र किराए पर चल रहे हैं। इसमें बीएचईएल के चार बड़े स्कूल भी शामिल हैं। गोविंदपुरा स्थित करीब चार एकड़ के फैले कॉमर्ल कॉन्वेंट स्कूल का किराया करीब साढ़े नौ हजार रुपए सालाना है, वहीं सेंट जेवियर स्कूल करीब पांच हजार, सेंट थेरेसा स्कूल 2000, सेंट थॉमस स्कूल 1000 एमपी चिल्ड्रन वेल्फेयर स्कूल भी लगभग 1 हजार रुपए की लीज के रूप में किराया देते हैं। इसके अलावा शासकीय भूमि पर सेंट मेरी, सेंटपॉल, सेंट फ्रांसिस, जीवी कॉन्वेंट, सेंट जोसेफ, सेंट जेवियर स्कूल भी सरकार भूमि पर ही संचालित हैं।
इसके बाद भी शिक्षा विभाग के पास इसका कोई रिकार्ड न होने के कारण वह इन स्कूलों में आरटीई के तहत 25 फीसदी सीटों पर दाखिला दिलाने में नाकामयाब है। जबकि 12 अप्रैल, 2012 को आए सुप्रीम कोर्ट एक फैसले में शीर्ष अदालत ने गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यकों के स्कूलों को आरटीई के दायरे से बाहर रखा है। लेकिन अदालत ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा जिन स्कूलों को सस्ती दरों पर सरकारी जमीनें अलॉट की गई हैं। उन सभी स्कूलों को 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को दाखिला देना होगा। सूत्रों की मानें तो राजधानी में संचालित 90 फीसदी स्कूलों को सरकार ने रियायती दर पर भूमि उपलब्ध कराई है।
सात साल से तैयार हो रहा है रिकार्ड
आरटीई के तहत 2011 में प्रदेश में संचालित सभी निजी स्कूलों में पहली कक्षा की 25 फीसदी सीटों पर दाखिला दिया था। उस वक्त मिशनरी स्कूलों ने भी बच्चों को दाखिला दिया था, लेकिन 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आढ लेते हुए इन स्कूलों ने दाखिला देने से इंकार कर दिया। उस वक्त शासन शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे, जो अनुदान प्राप्त हैं या फिर उन्हें रियायती दर पर भूमि उपलब्ध कराई गई है, लेकिन सात साल बाद भी राज्य शिक्षा केंद्र इन स्कूलों की सूची तैयार नहीं कर सका है। यहां तक कि जिला शिक्षा कार्यालय के पास भी इसका कोई रिकार्ड नहीं है।
अन्य प्रदेशों में दिए जा रहे हैं दाखिले
मप्र को छोड़कर अन्य कई प्रदेशों में लीज पर चल रहे मिशनरी स्कूल गरीब बच्चों को 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिला दे रहे हैं, इस पर भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि जिन प्रदेशों में यह दाखिले दिए जा रहे हैं। उन प्रदेशों में सरकार ने स्कूलों को शर्त अनुसार जमीन दी थी, कि समय-समय पर जो भी बदलाव होगा स्कूलों को उनका पालन करना होगा, जबकि हमारे यहां ऐसे कोई शर्त नहीं रखी गई है।
रियायती दर पर भूमि उपलब्ध कराने वाले स्कूलों की सूची जिलों से मांगी गई थी, हमारे यहां रियायती दर पर जिन स्कूलों को भूमि उपलब्ध कराई गई है उसमें किसी तरह की सर्त नहीं नहीं है। इसलिए हम लोग उन्हें 25 फीसदी दाखिले दाखिले के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
> रामाकांत तिवारी, आरटीई प्रभारी, राज्य शिक्षा केंद्र
यह स्कूल हैं लीज पर
संस्थान का नाम. लीज की दर
कार्मल कांवेंट स्कूल 2500
सेंट जेवियर स्कूल 2000
सेंट थेरेसा स्कूल 2000
सेंट थॉमस स्कूल 800
एमपी चिल्ड्रन 500
वेल्फेयर स्कूल
फैक्ट फाइल
राजधानी में कुल सीबीएसई स्कूल-45
मिशनरी 25
आरटीई के तहत सीट 2000 करीब
मिशनरी स्कूलों में 500
2010 में भरी थी सीटें
कॉर्मल कॉन्वेंट भेल-38
कॉर्मल कॉन्वेंट रतनपुर-22
सेंट जेवियर-50
सेंट जोसेफ ईदगाह हिल्स-50
सेंट जोसेफ कोएड-6 2
कैम्पियन शाहपुरा-72
सेंट फ्रांसिस-37


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