10 दिन बाद भी एफआईआर दर्ज न होना शर्मनाक : अजय सिंह

विशेष संवाददाता ॥ भोपाल
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि मंत्री रामपाल सिंह और उनके बेटे तथा परिजनों के दबाव में उदयपुरा की प्रीति रघुवंशी द्वारा आत्महत्या मामले में पुलिस द्वारा 10 दिन बाद प्रकरण दर्ज न किया जाना शर्मनाक है। प्रदेश में अंधा-कानून चल रहा है। अफसोस यह है कि एक महिला के साथ हो रहे इस अन्याय पर राष्ट्रीय महिला आयोग एवं राज्य महिला आयोग भी मौन है तब इस प्रदेश में न्याय की आस किससे है।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंत्री रामपाल सिंह और परिजनों के खिलाफ दस दिन बाद भी एफआईआर दर्ज न होने पर पुलिस और राज्य तथा राष्ट्रीय महिला आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इतना हाइप्रोफाइल मामला होने के बाद भी पुलिस की कार्यवाही बता रही है कि उसकी कोई मंशा नहीं है कि वह प्रीति के हत्यारों के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी। श्री सिंह ने आश्चर्य व्यक्त किया कि प्रीति रघुवंशी की आत्महत्या के बाद पूरे प्रदेश में बवाल है। दो दिन विधानसभा नहीं चली यहां तक सरकार ने भयभीत होकर बजट जैसा महत्वपूर्ण सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करवा दिया। इतने के बावजूद राज्य महिला आयोग एवं राष्ट्रीय महिला आयोग का मौन होना बताता है कि पुलिस के साथ सरकार का आयोग पर भी दबाव है।
सिंह ने कहा कि महिला आयोग का गठन ही इसलिए हुआ है कि अगर स्त्री को शासन-प्रशासन-पुलिस से न्याय न मिले तो आयोग उसे न्याय दिलाए। श्री सिंह ने कहा कि जब इतने बड़े मामले में जहां सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग पुलिस को प्रभावित कर प्रीति रघुवंशी के परिजनों को न्याय नहीं मिलने दे रहे हैं। तब आयोग को स्वयं संज्ञान लेकर इस पर कार्यवाही नहीं करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व महापौर श्रीमती विभा पटेल ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा तब भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। सिंह ने कहा कि महिला आयोग अपनी निष्पक्षता साबित करे और प्रीति रघुवंशी को न्याय दिलाने के लिए आगे आए।


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