दुनियाभर में विरोध के बावजूद इस देश में पहलवान को दी गई फांसी की सजा

तेहरान: ईरानी पहलवान नाविद अफकारी (Navid Afkari) को फांसी की सजा दे दी गई. नाविद अफकारी पर साल 2018 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों (Anti Government Protests) में हिस्सा लेने के दौरान एक सिक्यूरिटी गार्ड की हत्या का आरोप लगा था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया और शनिवार को फांसी दे दी गई. इस सजा का काफी विरोध हो रहा था, बावजूद ईरानी सरकार ने अफकारी को मौत की नींद सुला दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी रिव्यू पिटिशन
ईरान के दक्षिणी राज्य फारस के न्याय विभाग के प्रमुख काजेम मौसावी के हवाले से पीड़ित परिवार की इच्छा के मुताबिक कानूनी तौर पर नाविद को मौत की सजा दी गई. अफकारी पर हसन तुर्कमान (Hasan Turkman) की हत्या का आरोप लगा था, जो
एक वॉटर कंपनी में सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. हसन पर हत्या के साथ ही अन्य केस भी चल रहे थे और अगस्त में सुप्रीम कोर्ट (Iranian Supreme Court) ने उनकी रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी थी.

ग्रीको रोमन पहलवान थे अफकारी
नाविद अफकारी (27) ग्रीको रोमन पहलवान (Greco-Roman Wrestler) थे. उनके परिवार ने कहा कि इस जुर्म को कबूल करने के लिए उनके साथ जबरदस्ती की गई और टॉर्चर किया गया. उनके वकील ने भी कहा कि उनसे जबरन स्वीकारोक्ति कराई गई, वर्ना उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था. हालांकि कोर्ट ने उनके वकील की हर दलील खारिज कर दी. उनके वकील ये भी आरोप लगाया कि अफकारी को फांसी पर लटकाने से पहले उनके परिवार से भी नहीं मिलाया गया, जो कि कानूनी तौर पर जरूरी था.

हर तरफ सजा का विरोध, लेकिन ईरान ने साधी चुप्पी
नाविद अफकारी की सजा के विरोध में 85 हजार एथलीटों की अगुवाई करने वाले वैश्विक संगठन ने ईरान से सजा पर लोक लगाने की मांग की थी और कहा था कि ऐसा करने पर ईरान का खेलों की दुनिया में बहिष्कार किया जाएगा. इसके बावजूद अफकारी को फांसी दे दी गई. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने भी अफकारी की सजा रोकने की अपील की थी, जिसे ईरान ने अनसुना कर दिया.

नाविद अफकारी को सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से गंवानी पड़ी जान?
ईरान में साल 2018 में गिरती अर्थव्यवस्था और सरकार की कठोर नीतियों के विरोध में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे. इन विरोध प्रदर्शनों में अफकारी भी शामिल हुए थे. ईरान ने इसके पीछे इजरायल और अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था. माना जा रहा है कि इन्हीं विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने की वजह से अफकारी को मौत की सजा दी गई. हालांकि पिचले महीने ईरानी चैनल पर अफकारी का एक वीडियो दिखाया गया था, जिसमें वो कथित तौर पर अपने गुनाहों को स्वीकारते दिख रहे थे. इस दौरान उनका लिखित बयान भी दिखाया गया था. हालांकि मानवाधिकार संगठनों ने इसे सरकारी प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया था.


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