Myanmar Coup: सेना ने Suu Kyi से बात करने की US की अपील ठुकराई, सत्ता पर कब्जा छोड़ने से किया इनकार

वॉशिंगटन: म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट करने वाली सेना (Army) अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे भी नहीं झुक रही है. संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका (America) तक सभी सेना से गिरफ्तार नेताओं को रिहा करने और लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को सत्ता सौंपने की अपील कर चुके हैं, लेकिन सेना अपने रुख पर कायम है. इस बीच, म्यांमार सैन्य प्रशासन ने अमेरिका की उस अपील को ठुकरा दिया है, जिसमें देश की प्रमुख नेता आंग सान सू-की (Aung San Suu Kyi) से बातचीत का जिक्र था.

US म्यांमार की जनता के साथ
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि हमने अनौपचारिक और औपचारिक दोनों रूप में म्यांमार (Myanmar) की प्रमुख नेता आंग सान सू-की तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके. हमने सेना से अपील की थी कि हमें सू-की से बात करने दें, लेकिन उसने हमारी अपील को ठुकरा दिया है. प्रवक्ता ने आगे कहा कि अमेरिका बर्मा के लोगों के साथ खड़ा है और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के उनके अधिकारों का समर्थन करता है.

नेड प्राइस ने आगे कहा कि म्यांमार की सेना ने लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिसे लेकर हम चिंतित हैं. चुनी हुई सरकार के पक्ष में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी तरह से गलत नहीं है. देश में हो रहे प्रदर्शनों को दबाने के लिए सैन्य प्रशासन ने यंगून के कई इलाकों में रात का कर्फ्यू लगा दिया है. उधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने कहा कि म्यांमार संकट पर चर्चा करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा. दुनिया के तमाम देश म्यांमार की सेना की कार्रवाई से नाराज हैं.

किसी को नहीं पता कहां हैं Suu Kyi
म्यांमार की सेना आंग सान सू-की सहित हिरासत में लिए गए अन्य नेताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही है. किसी को नहीं पता है कि इन नेताओं को कहां रखा गया है. सेना प्रमुख जनरल मिन आंग लाइंग (Min Aung Hlaing) ने एक बार फिर दोहराया है कि सेना की कार्रवाई जायज थी. उन्होंने कहा कि चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली की गई और सेना की चिंताओं को नजरंदाज किया गया, इस वजह से देश में एक साल के लिए आपातकाल लगाया गया है.

Biden की चेतावनी गई बेकार
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) हाल ही में कहा था कि म्‍यांमार की सेना को तुरंत सत्ता पर कब्जा छोड़ देना चाहिए. जिन नेताओं, वकीलों, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें भी छोड़ा जाए, संचार-संवाद पर लगी पाबंदियों को हटाया जाए और हिंसा से बचा जाए. उन्होंने यह भी कहा था कि हम लोकतंत्र बहाली, कानून का शासन कायम करने तथा जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की खातिर अपने साझेदारों के साथ मिलकर काम करेंगे. इसके बावजूद म्यांमार के सैन्य प्रशासन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.

NLD की अपील का हो रहा असर
सू-की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की अपील पर देश में सैन्य तख्तापलट (Military Coup) के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरे लोग सेना के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. इसे 2007 में हुए प्रदर्शन के बाद अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है. लोगों के विरोध से सेना सकते में आ गई है. उसने हाल ही में सोशल मीडिया पर रोक लगाने जैसे कई कदम उठाए हैं. प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए हालांकि भारी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किया गया है.


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