जी-23 को सोनिया गांधी की नसीहत – मैं ही हूं फुल टाइम कांग्रेस अध्यक्ष, मीडिया के जरिए बात न करें!

दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई. शनिवार, 16 अक्टूबर को हुई इस बैठक में पार्टी के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे. बैठक में पार्टी की रणनीति और संगठन पर चर्चा से पहले ओपनिंग भाषण में ही सोनिया गांधी ने आलोचकों को जवाब दिया. सोनिया गांधी ने पार्टी के G-23 नेताओं को साफ संदेश दिया है कि वे (सोनिया गांधी) ही पार्टी की फुल टाइम प्रेसिडेंट हैं. उनसे मीडिया के जरिए बात करने की जरूरत नहीं है.

इंडिया टुडे के आनंद पटेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सोनिया गांधी ने कहा है कि पूरा संगठन चाहता है कि कांग्रेस फिर से खड़ी हो, लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी हितों को सबसे ऊपर रखना जरूरी है. इससे भी ज्यादा जरूरत खुद पर काबू रखने और अनुशासन की है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनने के लिए जल्द ही पूर्ण संगठनात्मक चुनाव कराए जाएंगे. सोनिया गांधी ने एक पूर्णकालिक, व्यावहारिक पार्टी अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका को भी रेखांकित किया.

अध्यक्ष के सवाल पर सोनिया ने कहा कि हमने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 30 जून तक निपटाने का रोडमैप पहले ही बना लिया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इसे आगे बढ़ाना पड़ा.

वहीं जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमें सोनिया गांधी पर पूरा भरोसा है. CWC की बैठक में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कोई भी सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठा रहा है. पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने CWC की बैठक बुलाने की मांग की थी.

सोनिया गांधी ने यूथ कांग्रेस और पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि दो सालों में बड़ी संख्या में हमारे सहयोगियों, विशेष रूप से युवाओं ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को लोगों तक ले जाने में नेतृत्व की भूमिका निभाई है. चाहे वह किसानों का आंदोलन हो, महामारी के दौरान राहत का प्रावधान हो या फिर मुद्दों को उजागर करना हो.

सरकार पर निशाना साधा

सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. कहा कि सरकार का एक ही एजेंडा है. राष्ट्रीय संपत्ति को बेचना. अर्थव्यवस्था बहुत चिंता का कारण बनी हुई है. लेकिन प्रोपेगेंडा के जरिए सरकार हमें यह यकीन दिलाने में लगी है कि

सरकार के प्रचार के बावजूद हमें यह विश्वास दिलाने के लिए कि यह नहीं है,

ऐसा लगता है कि सरकार के पास आर्थिक सुधार के लिए एक ही जवाब है कि वह दशकों से बड़े प्रयास से बनी राष्ट्रीय संपत्ति को बेच दे.

उन्होंने कहा कि हाल ही में, लखीमपुर-खीरी की भयावह घटना ने भाजपाई मानसिकता को उजागार किया है कि वो किसान आंदोलन को कैसे देखती है, किसानों द्वारा अपने जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए इस दृढ़ संघर्ष से कैसे निपटती है.


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