गहलोत पर पायलट का निशाना, कही ‘कड़वी’ बात- पेपर लीक के मास्टरमाइंड को पकड़ें, छोटे दलाल नहीं

साल के आखिर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अकेले ही चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है. उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा. दरअसल, सचिन पायलट जाट समुदाय और किसानों के गढ़ माने जाने वाले नागौर में चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने राजस्थान में हुए पेपर लीक का मामला जोरशोर से उठाया. सचिन पायलट ने कहा कि सरकार को पेपर लीक करने वाले मास्टर माइंड को पकड़ना चाहिए, न कि इस काम में शामिल छोटी मछलियों को.

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा, ‘कभी पेपर लीक हो जाते हैं, कभी परीक्षा रद्द हो जाती है. यह सब जानकर पीड़ा होती है. बच्चों और उनके माता-पिता के लिए, ये बेहद दर्दनाक और परेशान करने वाली स्थिति होती है.’ उन्होंने कहा कि जब एक बच्चा नौकरी की तैयारी करता है तो उसके माता-पिता दिनरात मेहनत करके उसके लिए पैसे जुटाते हैं. ऐसे में मौके पर परीक्षा के रद्द हो जाने के उनका पैसा और उस पर लगाया गया समय, दोनों की बर्बाद हो जाते हैं. ये दुखद है.

बड़े दलालों को पकड़ना होगा

पायलट ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सरकार छोटे-मोटे दलालों के बजाय बड़ी मछलियों को पकड़ेगी.’ 20 जनवरी तक चलने वाले सचिन पायलट के इस कार्यक्रम और उसमें सचिन के बेबाक बोल की वजह से पार्टी के लिए राजस्थान के दो शीर्ष नेताओं के बीच अनसुलझे नेतृत्व के झगड़े का मुद्दा दिक्कत दे सकता है.

पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके जनसंपर्क कार्यक्रम का उद्देश्य कांग्रेस को मजबूत करना और राजस्थान में अपनी राजनीतिक जगह बनाए रखना है. यही कारण है कि वह जाट-किसानों के गढ़ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो कांग्रेस का एक पारंपरिक आधार है.

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पर्यवेक्षकों का कहना है कि राजस्थान की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए पायलट का ये राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है, क्योंकि राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जमीनी स्तर के संगठन के काम में व्यस्त हैं और मुख्यमंत्री अपने आखिरी बजट की तैयारी कर रहे हैं.

गहलोत ने पायलट को बताया था गद्दार

पायलट का ये बयान गहलोत के उस बयान के हफ्तों बाद आया है जिसमें उन्होंने पायलट को गद्दार बताया था और कहा कि वह मुख्यमंत्री नहीं होंगे. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘एक गद्दार (देशद्रोही) मुख्यमंत्री नहीं हो सकता. हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता… एक आदमी जिसके पास 10 विधायक नहीं हैं, जिसने विद्रोह किया, पार्टी को धोखा दिया, (वह) देशद्रोही है.’

गहलोत-पायलट के बीच गतिरोध तब शुरू हुआ जब 2018 में कांग्रेस की राजस्थान की जीत के बाद दोनों ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारी की थी. इसके बाद दोनों के बीच की खाई बढ़ती चली गई और 2020 में ये अपने चरम पर पहुंच गई. ये वो समय था जब पायलट गुट के 20 विधायकों ने विद्रोह कर दिया था और हफ्तों तक दिल्ली में डेरा डालकर बैठे रहे थे.

हालांकि, दोनों नेताओं के बीच के विवाद को उस समय पार्टी आलाकमान ने शांत करवाया था. लेकिन विवाद का हल नहीं निकल पाया था और ये विवाद आज भी जारी है. मौका मिलते ही दोनों नेता एक दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूकते हैं. सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट ने चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इस जनसंपर्क के लिए राहुल गांधी से अनुमति ली थी.


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