गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने से दहशत में अनाज व्यापारी कहा मंडियों रहेंगी सूनी, दूसरे राज्य उठाएंगे फायदा 

 

वाणिज्य प्रतिनिधि.भोपाल

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2000 रुपए घोषित किए जाने से भोपाल, इंदौर सहित एमपी में संचालित कृषि उपज मंडियों में उपज की खरीद-फरोख्त करने वाले अनाज व्यापारियों में खलबली मच गई है। सरकार द्वारा 265 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस किसानों को दिए जाने के बाद से अनाज व्यापारियों में बौखलाहट की स्थिति निर्मित हो गई है। अनाज व्यापारियों इस बात से डरे हुए हैं कि राज्य सरकार की इस पहल से गेहूं खरीदी का कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा, मंडियां किसानी माल से सूनी हो जाएगी।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को गेहूं का मूल्य 2000 रुपए प्रति क्विंटल सीधी खरीदी नीति के तहत दिए जाने का भोपाल, इंदौर सहित प्रदेशभर के अनाज व्यापारियों ने विरोध किया है। व्यापारी का मानना है  कि सरकारी गेहूं खरीदी नीति से व्यापारियों को भारी नुकसान होगा। कृषि उपज मंडिया ना सिर्फ गेहूं विहीन होगी, बल्कि सरकार की इस नीति का फायदा अंतरप्रांतीय भी राज्य उठाएंगे। स्थिति यह निर्मित होगी कि दूसरे राज्यों का किसानी माल भी सरकारी खरीदी केंद्रों में बिकेगा और तो और प्रदेश के व्यापारियों जिन राज्यों और गेहूं मिलों को माल सप्लाई करते हैं वे इस बार प्रदेश के व्यापारियों से नहीं खरीदेगे। जिसका भरपूर फायदा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश उठाएगा। क्योंकि इन राज्यों की सरकारें किसानों को गेहंू का न्यूनतम मूल्य 1734 के अलावा ना ही बोनस दे रही है और न ही समर्थन मूल्य बढ़ाया है।

–  गेहूं को भावांतर योजना में शामिल करने की मांग

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस चुनावी पैतरे से दहशतगर्द व्यापारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार गेहूं का समर्थन में किसानों को 2000 रुपए प्रति क्विंटल दे, लेकिन सीधी खरीदी के तहत नहीं बल्कि गेहूं को भावांतर भुगतान योजना में शामिल करके। अनाज व्यापारियों की मांग है राज्य सरकार  गेहूं को भावांतर योजना में शामिल हैं जिससे प्रदेश के व्यापारी, किसान दोनों का हित सधे।

–  मंडियों में घटी गेहूं की आवक घटी

केंद्र सरकार ने 2017-18 के रबी मार्केटिंग सीजन हेतु गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने और राज्य सरकार द्वारा 265 रुपए प्रति क्विंटल बोनस की घोषणा किए जाने के बाद भोपाल सहित प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में गेहूं की आवक घट गई है। गेहूं उत्पादक किसान जो पन्द्रह दिन पहले पुराना गेहूं मंडियों में नीलाम कराने पहुंच रहा था वह अब नहीं आ रहा है। आलम यह है कि मंडियों में नए और पुराने गेहूं का आवक नदारद हो गई है। किसान 15 मार्च से शुरू हो रही सरकारी खरीदी शुरू होने का इंतजार कर रहा है।

– ऊंचे मूल्य की आशा से किसान बचाकर रख रहे गेहूं का स्टॉक

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने  265 रुपए प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की है। इसका मतलब यह हुआ कि इस राज्य में किसानों से 2000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की सरकारी खरीद की जाएगी। ऊंचे मूल्य की आशा से किसानों ने गेहूं का स्टॉक बचाकर रखना शुरू कर दिया है जिससे मंडियों में इसकी आवक तेजी से घटने लगी। मंडी स्थित अनाज व्यापारी संजीव जैन बताते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार पिछले मार्केटिंग सीजन के दौरान बेचे गए गेहूं पर किसानों को 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस प्रदान की थी, लेकिन इस बार 265 रुपए का बोनस दिए जाने की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश सरकार के पास इस वर्ष गेहूं का विशाल बंफर स्टॉक निर्मित हो होगा। क्योंकि तमाम किसान इस बहती गंगा में डुबकी लगाने का प्रयास करेंगे। किसान एक माह तक प्रतीक्षा करने के मूड में है और मध्य मार्च के बाद मंडियों में अपने गेहूं को उतारने की योजना बना रहे है। मध्य प्रदेश की विभिन्न मंडियों में गेहूं की घटती आवक के साथ कारोबार भी धीमी चल रहा है।

– व्यापारियों की उम्मीदों पर फिरा पानी

भोपाल सहित प्रदेश के अनाज व्यापारियों को पहले उम्मीद थी कि नए माल की आवक शुरू होने पर गेहूं का भाव घटेगा, मगर गेहूं का भविष्य उन्हें मंदी सूचक नहीं दिख रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2000 रुपए क्विंटल किसानों को दिए जाने से व्यापारियों के मंसूबों पर पानी फिर गया है और व्यापारी एमपी सरकार की घोषणा से नाराज है।

– व्यापारियों ने सरकार की सीधी खरीद नीति का विरोध

मध्यप्रदेश सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने राज्य सरकार की गेहूं खरीदी में निर्धारित की गई सीधी खरीदी नीति (2000 रुपए क्विंटल)का विरोध किया है। महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल, सचिव राधेश्याम माहेश्वरी के अनुसार मंडी बोर्ड, राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार व्यापार एवं व्यापारियों को निशाना बना रही हैं और व्यापार चौपट करने में जुटी हुई हैं। इस संदर्भ में इंदौर,भोपाल, सीहोर, होशंगाबाद, विदिशा सहित अन्य प्रदेश भर के अनाज व्यापारी 25 फरवरी को राजधानी में दस्तक देंगे, ये सभी मंडीदीप में आहूत की गई मीटिंग में शामिल होंगे।

– व्यापारियों की मांग और चर्चा का विषय

राज्य सरकार की गेहूं 2000 रुपए क्ंिवटल पर सीधी खरीदी नीति का विरोध

गेहूं की खरीदी भी भावांतर योजना अंतर्गत अन्य कृषि जिन्सों के सामान हो

मंडी फीस भुगतान की प्रमाणिकता के लिए लागू अनुज्ञा पत्र व्यवस्था समाप्त हो

वर्ष 2000 के पूर्व लागू मंडी फीस का भुगतान नियम 1990 की व्यवस्था लागू कराना

कृषकों की उपज के भुगतान के लिए सामूहिक अथवा व्यक्तिगत गारंटी ली जाती है भुगतान पत्रक की कापी लेने की व्यवस्था लागू की गई है,भुगतान नहीं होने पर कृषि उपज जब्त कर पुन: निलामी का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में कृषकों के भुगतान प्रमाणिकता के लिए अनुज्ञा पत्र की व्यवस्था का औचित्य नहीं है अत: इस व्यवस्था को समाप्त हो।

धारा 19(4) पांच गुना दण्डात्मक मंडी फीस के असंगत प्रावधान समाप्त किया जाए,क्योंकि यह प्रावधान धारा 19(2) के तहत 14 दिवस में मंडी फीस भुगतान की पात्रता एवं धारा 19(ख)के तहत ब्याज के साथ एक माह में मंडी फीस जमा के प्रावधानों के विपरीत है।


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