ग्यारह साल बाद भी बच्चों की अंग्रेजी नहीं सुधार सका राज्य शिक्षा केंद्र

73.3 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते अंग्रेजी के सरल वाक्य
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
अब भी प्रदेश के 73.3 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्यों को नहीं पढ़ पाते हैं। यह स्थिति पिछले ग्यारह वर्षों से जस की तस बनी हुई है। असर की रिपोर्ट पर सन् 2007 से अब तक की स्थिति पर नजर डालें तो आंकड़ों में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है।
20014 में 9.6 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी की सरल वाक्यों को पढ़ सकते थे, 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 12.6 प्रतिशत हो गया, वहीं 2018 में भी इनकी स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं आया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 में कक्षा 8 वीं के 24.3 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्यों को पढ़ पाते थे, 2016 में इनका प्रतिशत 26 .7 हो गया। असर 2018 की रिपोर्ट में बताया गया है, कि मध्य प्रदेश के 6 0.5 फीसदी युवा अंग्रेजी के सरल वाक्यों को नहीं पढ़ पाते हैं।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि 2007, 2009, 2012, 2014, 2016 में भी सर्वे किया गया था, लेकिन निचली कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों की अंग्रेजी पढ़ पाने की क्षमता तुलनात्मक रूप से जस की तस बनी हुई है। इसका मुख्य कारण सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों को न होना भी है। सीबीएसई स्कूलों को टक्कर देने शिक्षा विभाग ने प्रदेश में 235 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुलवाए हैं। लेकिन बच्चों को पढ़ाने अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की नियुक्ति दो साल बाद भी नहीं की गई। अभिभावकों का आरोप है कि सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम स्कूल के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले वर्ष इन स्कूलों में करीब 20 हजार छात्र-छात्राओं ने दाखिला लिया था।
दो-दो कमरों में चल रहे स्कूल
शासन की घोषणा के बाद हिन्दी माध्यम के स्कूलों के दो-दो कमरों में ही अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू कर दिए गए हैं। इन स्कूलों में पिछले वर्ष कक्षा-1 एवं कक्षा-2 शुरू की गई, वहीं उत्कृष्ट स्कूल में कक्षा 6 एवं 7 शुरू की गई। आगे की कक्षा इस साल शुरू करने का प्लान था, लेकिन इस साल भी इनकी स्थिति जस की तस है।
हिन्दी-इंग्लिश साथ-साथ
कुछ स्कूलों में कमरों की कमी के कारण हिन्दी के बच्चों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि संविदा शिक्षकों की भर्ती होने के बाद ही स्कूलों में शिक्षक पहुंच सकेंगे। अभी अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था की गई है, लेकिन यह भी हिन्दी मीडियम के ही हैं, अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत गया है।


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