नगर निगम कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का इंतजार

डिमांड ॥ स्थापना व्यय बढ़ाने की मांग भी कर रहे कर्मचारी संगठन
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
नगर निगम कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर आंदोलन की राह पर है। 7वें वेतनमान की मांग और सेवा भर्ती नियम में कम्प्यूटर आपरेटर के पद शामिल करने जैसी अनेक मांगों को लेकर मप्र नगर निगम, नगर पालिका कर्मचारी संघ एक बार फिर आंदोलन करेगा। नगर निगमों में किसी भी अधिकारी को तीन वर्ष से अधिक समय तक प्रतिनियुक्ति पर न रखा जाए, जैसे मांग भी उठ रही है। इतना ही नहीं पीएचई के कर्मचारियों से जलप्रदाय व्यवस्था के अलावा कोई अन्य कार्य न कराया जाने की मांग नगर निगम कर्मचारियों द्वारा की जा रही है।
नगरीय निकायों के अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा सफाई कर्मियों को 7वां वेतनमान, 9 वर्ष बाद भी समयमान वेतनमान का लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है, जबकि सहायक यंत्री व उपयंत्रियों को इसका लाभ 15 वर्ष से दिया जा रहा है। नगर निगम के दैवेभो को स्थार्यीकर्मी योजना का लाभ दिया जाना है, परन्तु विभागीय अधिकारियों द्वारा सितंबर 2007 तक के कर्मचारियों को ही स्थायी किया जा रहा है, शासन आदेश की अवहेलना है। नगरीय निकायों में कार्यरत सामुदायिक संगठकों को वर्तमान समय तक नियमित नहीं किया गया है, जबकि निकायों के सेवाभर्ती नियमों में इनके पदों का समावेश 2015 में किया जा चुका है। कर्मचारी संगठन की मांग है कि निकायों के स्थापना व्यय की सीमा को 65 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना हो गया है। नगरीय निकायों में सेवा भर्ती नियम-2012 लागू किया गया है, लेकिन इसमें कम्प्यूटर आपरेटर के पदों को समाहित नहीं किया गया है और नगर निगम में संविदा आधार पर कम्प्यूटर आपरेटर काम कर रहे है। सेवा भर्ती नियम-2012 लागू होने के बाद नगर निगम में प्रतिनियुक्ति और पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों का स्पष्ट उल्लेख है, इसके बाद भी ऐसे पदों पर अधिकारी-कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर आए है, जिन पदों को पदोन्नति और सीधी भर्ती से भरा जाना है। नगर निगम में वर्तमान में 67 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर जमे है। कर्मचारी संघ द्वारा लगातार प्रतिनियुक्ति के खिलाफ आवाज उठाई गई, लेकिन नगर निगम भोपाल प्रतिनियुक्ति पर आने वालों की पसंदीदा जगह बन गया है। नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों को लेकर नगर निगम के मूल कर्मचारियों को भी आपत्ति नहीं है, लेकिन आपत्ति तब उठाई जा रही है, जब 21, 15, 12 साल से ऐसे अधिकारी-कर्मचारी भोपाल में ही जमें है, जिन्हें शासन से उनके मूल विभाग में वापस भेजे जाने को लेकर भी आदेश ही नहीं किया। ऐसे अधिकारियों की संख्या बहुत है, जो एक बार नगर निगम भोपाल में आए तो कभी वापस गए ही नहीं।
अधिकारियों का पदनाम बदलने पर आक्रोश
सीएमओ स्तर के अधिकारियों के अवकाश को स्वीकृत करने के अधिकार कलेक्टर के स्थान पर संभागीय संयुक्त संचालक को देने, अपर आयुक्त, उपायुक्त के पदों पर प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य नगर पालिका सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को पदस्थ करने, नगर निगम में तहसीलदार, विकास प्राधिकरण व अन्य विभाग के अधिकारियों का पदनाम बदलकर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ न करने, पीएचई के कर्मचारियों से जल प्रदाय व्यवस्था का काम ही लिए जाने, स्वास्थ्य निरीक्षकों की स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पदोन्न करने, नगर पालिका, नगर परिषद के कर्मचारी-अधिकारी व सफाई कर्मियों को चिकित्सा भत्ता 200 रुपए प्रतिमाह करने मांग शामिल है।


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