दर्शन मात्र से भक्तों के हर दुख को दूर करती है मां विजयासन

कल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र में हर ओर जय माता दी की गूंज सुनाई देगी पूरा देश माता की भक्ति में डूबा रहेगा। मध्य प्रदेश के सीहोर सलकनपुर में विराजी मां विजयासन भव्य रूप में दर्शन देकर भक्तों का हर दुख हर लेती हैं। भक्त 1 हजार 435 सीढिय़ों का सफर तय कर माता के दरबार पहुंचते हैं और अपने हर दुख का समाधान पा लेते हैं।
मां के इस दरबार में भक्त की कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं रहती, राजा हो या रंक, मां सभी पर एक समान कृपा बरसाती हैं, भक्तों के बढ़ते हुए कदम जैसे ही इस धाम की परिधि को छूते हैं पूरा शरीर मानो मां भगवती की शक्ति से भर उठता है, क्योंकि ये वो जगह है जहां मां विजयासन सुंदर पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में आसिन हैं, जगत जननी का ये वो धाम है जो जगत भर में सलकनपुर वाली मां विजयासन के नाम से प्रसिद्ध है। सलकनपुर में विराजी सिद्धेश्वरी मां विजयासन की ये स्वयंभू प्रतिमा माता पार्वती की है जो वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए बैठी हैं।
इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं यानी इस एक मंदिर में कई देवी-देवताओं के आशीर्वाद का सौभाग्य भक्तों को प्राप्त होता है।पुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध कर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। देवी विजयासन को कई भक्त कुल देवी के रूप में पूजते हैं, मां जहां एक तरफ कुंवारी कन्याओं को मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं. वहीं संतान का वरदान देकर भक्तों की सूनी गोद भर देती हैं. तभी तो देवी के इस धाम का महत्व किसी शक्तिपीठ से कम नहीं हैं। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में सलकनपुर नामक गांव में 800 फुट ऊंची पहाड़ी पर एक मंदिर स्थित है,इस मंदिर में मां दुर्गा का अवतार बिजासन देवी विराजमान हैं।
खास है इस पहाडिय़ों पर विराजी माँ
विंध्य की पहाडिय़ों पर विराजी माँ विजयासन देवी का मंदिर आस्था,भक्ति, विश्वास और श्रद्धा का जीवंत केन्द्र है। नवरात्रि में तो लाखों श्रद्धालु माँ की चौखट पर अपनी मन्नते मांगने आते ही हैं, लेकिन वर्ष भर इस मंदिर में भक्तों का तांता सैलाब बनकर उमड़ता रहता है। भोपाल – होशंगाबाद मार्ग पर सीहोर जिले की रेहटी के समीप बने ग्राम सलकनपुर की विंध्य पहाडिय़ों पर माँ विजयासन देवी का मंदिर एक समृद्ध अतीत धारण किए नजर आता है।
यात्रियों की सुविधा के लिए रोपबे भी प्रारंभ
यहां पर तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिये रोपबे भी प्रारंभ किया गया है। इसके माध्यम से भी प्रति वर्ष हजारों लोग माता के दर्शन के लिये आते हैं और हजारों श्रद्धालु सीढिय़ों के सहारे भी माता के दर्शन कर आशीर्वाद लेने मंदिर पहुंचते हैं। यहां की हरी-भरी पहाडिय़ों तथा घने जंगलों के बीच मां जगदम्बा के पावन दर्शन होते हैं। सलकनपुर की प्राकृतिक सुंदरता मन को छू लेने वाली है। इस प्राचीन मंदिर में नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती हैं। मंदिर की छठा दर्शनीय हैं और माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालु भावभिवोर हो जाते हैं।
ऐसे पहुंचे
रेल मार्ग से भोपाल से 75 किमी की दूरी पर है। होशंगाबाद से 40 किमी की दूरी पर, इंदौर से 180 किमी और सीहोर से 90 किमी की दूरी पर बस द्वारा मां विजयासन धाम पहुंचा जा सकता है।


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