सरकार के दावे पर गिनीज को शक, मांगे वीडियो प्रूफ

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
मप्र में नर्मदा किनारे 6 करोड़ 63 लाख पौधे लगातार इसे विश्व रिकार्ड की सूची में दर्ज कराने की सरकार की कोशिशों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। सरकार ने पहले दिन से इस पौधारोपण की तैयारी वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज होने के हिसाब से की थी लेकिन गिनीज बुक की कठिन गाइडलाइन को पूरा करने में सरकार को पसीने छूट रहे हैं।
गिनीज बुक के संपादक इतनी बड़ी संख्या में हुए पौधारोपण के सरकार के दावे से संतुष्ट नहीं बताए जा रहे। गिनीज बुक ने सरकार से प्रमाण के तौर पर सरकार से उन एक लाख 2 हजारो स्थानों के वीडियो प्रुफ मांग लिए हैं, जहां पौधे रोपे गए थे। इतनी बड़ी संख्या में वीडियो प्रुफ की मांग ने इस काम में लगे वन विभाग के अधिकारियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। उल्लेखनीय हैकि नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा में राज्य सरकार ने पिछले दो जुलाईको प्रदेश में एक लाख दो हजार स्थानों पर एक साथ 6 करोड़ 63 लाख पौधे रोपने का विश्व रिकार्ड बनाने का दावा किया था। अपने इस दावे को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्जकराने के लिए राज्य के वन विभाग के अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस काम के लिए सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सरकार ने वन विभाग के रिटायर वरिष्ठ अधिकारी वाय. सत्यम को संविदा नियुक्ति भी दी। सत्यम की देखरेख में ही पौधारोपण को वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने का काम चल रहा है। वन विभाग की टीम 9 महीने से इस काम में लगी है लेकिन लगातार आ रही परेशानियों के कारण अब तक उसे सफलता नहीं मिली है।
इधर बताया जा रहा हैकि गिनीज बुक के अधिकारियों की नई मांग ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है, जिसके बाद रिकार्ड बनने की उम्मीद अब न के बराबर बची है। दरअसल गिनीज बुक के अधिकारी रोपे गए गए पौधों की संख्या के दावे से संतुष्ट नहीं है। अपने इस दावे के समर्थन में सरकार ने जीपीएस रिकार्ड उपलब्ध कराया हैलेकिन इसे गिनीज की टीम नहीं मान रही। इस रिकार्ड में पौधे रोपने की फोटो, स्थान और गवाहों का उल्लेख है। खबर है कि गिनीज की टीम से सरकार ने उन 1 एक लाख 12 हजार स्थानों के वीडियो फुटेज मांगे हैं, जहां पौधे रोपे गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में वीडियो फुटेज देना सरकार के लिए व्यवाहरिका रूप से संभव नहीं है। गिनीज टीम की इस मांग से सरकार नईपरेशानी में आ गई है। गिनीज टीम की इस नई मांग के बाद सरकार के हाथ-पैर फूल गए हैं। इन सभी स्थानों पर पौधारोपण के वीडियो फुटेज भी उपलब्ध हैं। दूसरी समस्या यह है कि जो फुटेज उपलब्ध भी हैं, उन्हें गांव-गांव से इकट्ठा करना और गिनीज तक पहुंचाना, अपने आप में कठिन काम है।
9 महीने बीते, अब भी रिकार्ड मिलने की गारंटी नहीं
गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में इस विशाल पौधारोपण को दर्ज कराने के लिए 9 महीनों तक लगातार काम करने के बाद इस बात की गारंटी नहीं है कि सरकार का सपना पूरा हो पाएगा। इस मामले में वन विभाग से पहली गलती तब हुईजब 2017 के बजाए 2014 के फार्मेट में जानकारी इकट्ठी कर ली। इस लापरवाही का पता चलने के बाद विभाग ने नए सिरे से कवायद शुरू की है। प्रदेशभर से नए फॉर्मेट में जानकारी मांगी गई। शुरूआती डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद जिले के अफसरों ने वन मुख्यालय को तय फॉर्मेट में जानकारी भेज दी। तब तक गिनीज टीम ने नया फॉर्मेट भेज दिया।


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