कृषि बिल लाने से पहले और बाद में किसानों के संपर्क में रही सरकार, PM मोदी ने खुद संभाला था मोर्चा

नई दिल्लीः सरकार द्वारा पास किए कृषि बिलों को लेकर 17 दिन से लगातार दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है. सरकार के तमाम दफा समझाने के बावजूद किसान बिलों में संसोधन नहीं बल्कि रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. इसी बीच सरकारी सूत्रों से जानकारी मिली है कि सरकार कृषि कानून लाने से पहले और बाद में लगातार किसान संगठनों और उनके प्रतिनिधियों से लगातार संपर्क में रही ताकि कानून में जरूरत पड़ने पर सुधार किए जा सकें. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इन कानूनों के बारे में जागरुकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया.

साल की शुरुआत से अंत तक कृषि बिलों पर चर्चा करते रहे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की बात करें तो वे इन सुधारों के बारे में 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं. कृषि कानूनों को लेकर पीएम मोदी ने हर सप्ताह संबोधन किया है. पीएम ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी इन बिलों पर संबोधन किया था. कृषि बिलों में सुधारों के ऐलान से पहले कृषि मंत्रालय ने विभिन्न विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों से चर्चा की. कृषि मंत्रालय विभिन्न राज्यों के कृषि विभागों के संपर्क में भी हमेशा रहा. मंत्रालय ने महत्वपूर्ण किसान संगठनों से चर्चा की और उनके फीडबैक के आधार पर एक अध्यादेश में बदलाव किया.

किसान संगठनों ने कृषि बिलों पर अटेंड की वर्कशॉप
सुधारों के ऐलान के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों के कृषि मंत्रियों, विभिन्न किसान संगठनों, राजनीतिक दलों, आढ़तिया समूहों और उद्योग समूहों से चर्चा की और कृषि विज्ञान केंद्रों के वर्कशॉप में हिस्सा लिया. केंद्र सरकार ने किसानों से भी संपर्क किया और उन्हें वेबीनार और ट्रेनिंग के जरिए इन सुधारों के बारे में जानकारी दी. जून और नवंबर 2020 के बीच कुल 1,37,054 वेबीनार के जरिए 92,42,376 किसानों से संपर्क साधा गया. इसके अलावा अक्टूबर महीने में 2.23 करोड़ संदेश भेजे गए.

अब भी लगातार जारी है किसानों से वार्ता
बिल लाने के बाद भी किसान संगठनों से बातचीत जारी रही. 14 अक्तूबर को केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने पंजाब के 29 किसान संगठनों के साथ बैठक की. 13 नवंबर को नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों से चर्चा की. यह बैठक 2 दिसंबर को भी हुई. 3 दिसंबर को भी कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई. 5 दिसंबर को एक तोमर, गोयल और सोम प्रकाश की पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक हुई.


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