गेहूं खाने लायक है या नहीं, जबलपुर में होगी इसकी जांच

सच संवाददाता ॥ भोपाल
मध्यप्रदेश के गेहूं की रोटी का स्वाद देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ रहा है। इसलिए विदेश तक प्रदेश के गेहूं की पहुंच आसान बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश में ही गेहूं को अंतरराष्ट्रीय निर्यात मानक पर परखा जाएगा, जो काम अब जबलपुर में होगा। प्रदेश की पहली आधुनिक पेस्टीसाइड अवशेष परीक्षण लैब जबलपुर में कल शुरू हो गई।
इसका शुभारंभ केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने किया। निर्यात से पहले इस लैब में गेहूं में कीटनाशक की मात्रा को अंतरराष्ट्रीय निर्यात मानक पर परखा जाएगा। पास होने पर लैब से एक सर्टिफिकेट जारी होगा, जो निर्यात के पहले बंदरगाह में चेक होगा। दरअसल अभी तक बंदरगाह में ही खाद्यान्नों की जांच की जाती है। कई बार कीटनाशक की मात्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर से अधिक होने पर निर्यात की परमिशन नहीं मिलती। अब इससे बचने के लिए इसकी जांच जबलपुर की जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि की लैब में की जाएगी। खास बात यह है कि न सिर्फ गेहूं बल्कि दलहन, तिलहन, फल, सब्जियां समेत सभी खाद्यान्न् को विदेश भेजने से पहले इस लैब में अंतरराष्ट्रीय निर्यात मानक पर रखा जाएगा।
प्रदेश के गेहूं में 12 फीसदी प्रोटीन
प्रदेश में पिछले चार साल में लगातार गेहूं का उत्पादन बढ़ा है। गेहूं में क्वांटिटी के साथ क्वालिटी में भी सुधार आया है। जनेकृविवि के कुलपति प्रो.प्रदीप बिसेन के मुताबिक मध्यप्रदेश के गेहूं में 12 फीसदी प्रोटीन की मात्रा होती है, जबकि उत्तप्रदेश समेत अन्य राज्यों में पैदा होने वाले गेहूं में इसकी मात्रा 8 फीसदी रहती है। यही वजह है कि प्रदेश के गेहूं की मांग न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी तेजी से बढ़ी है। अब विवि की आधुनिक लैब की मदद से गेहूं, चावल समेत खाद्यान्न् फसलों में कीटनाशक की मात्रा की को परखने के बाद उन्हें निर्यात करना आसान होगा। इसका फायदा प्रदेश सरकार के साथ किसान को भी होगा।


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें