पिछले दो महीने में भाव 25 फीसदी गिरे विदेशी मांग की कमी से जीरे में गिरावट

वाणिज्य डेस्क ॥ भोपाल
आवक बढऩे और विदेश में मांग कमजोर होने के कारण जीरे की कीमतों में गिरावट जारी है। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज जीरे का अप्रैल फ्यूचर्स प्राइस लगभग 143 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो दो वर्षों में सबसे कम है। एक महीने में कीमतें 8 फीसदी गिरी हैं। जनवरी से अब तक कीमतों में करीब 25 प्रतिशत कमी आई है।
बाजार जानकारों के अनुसार निर्यातक इस महीने के अंत तक जीरे की आवक के चरम पर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वे मांग कमजोर होने से चिंतित हैं। कारोबारी रीतेश कुकरेजा के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में चीन एक बड़ा खरीदार रहा है,लेकिन इस साल वह बहुत कम खरीदारी कर रहा है। उम्मीद जताई है कि विदेशी मांग घटने से जीरा 140 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ जाएगा। बताया जा रहा है कि जीरे की कुल सप्लाई भारत की हिस्सेदारी करीब 85 प्रतिशत की है। जानकार बताते हैं कि इस वर्ष जीरे का उत्पादन बढ़कर 6 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है और इससे कीमतों में और गिरावट आ सकती है।
एंजेल कमोडिटीज ब्रोकिंग के फंडामेंटल एनालिस्ट रितेश कुमार साहू ने कहाकि कीमतें 139-143 रुपए प्रति किलोग्राम की रेंज में रह सकती हैं। कीमतों के निचले स्तर पर होने के कारण किसान जीरे की फसल को रोक सकते हैं। मार्च कॉन्ट्रैक्ट के अंत तक नेशनल कमोडिटी में जीरे की सप्लाई से दाम और गिरेंगे। उन्होंने बतायाकि एक्सचेंज 4,500 टन से अधिक मात्रा की डिलीवरी कर रहा है। सितंबर 2017 में समाप्त हुए छह महीनों में जीरे का निर्यात वॉल्यूम के लिहाज से 16 पर्सेंट और वैल्यू के लिहाज से 20 पर्सेंट बढ़ा था। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में वॉल्यूम बढ़कर 1.40 लाख टन और वैल्यू बढ़कर करीब 2,200 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। 2016-17 में जीरे का निर्यात 1.19 लाख टन का रहा था और निर्यात की वैल्यू 1,963 करोड़ रुपए थी। 2014-15 में निर्यात 155000 टन के साथ अभी तक का सबसे अधिक रहा था।


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