चीन के लिए एक और बुरी खबर, भारत से सीक्रेट डील को तैयार हुआ जापान

टोक्यो: मोदी सरकार को एक और सफलता मिली है. जापान (Japan) अब चीन के खिलाफ भारतीय सेना के साथ सीक्रेट डील को तैयार हो गया है. उसने डिफेंस इंटेलिजेंस (Defence Intelligence) साझा करने के लिए अपने कानून में बदलाव किया है. इस बदलाव के साथ ही जापान अमेरिका के अलावा भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करेगा.

जापान के सीक्रेट कानून के दायरे में यह विस्तार पिछले महीने किया गया. इससे पहले जापान केवल अपने निकटतम सहयोगी अमेरिका के साथ ही डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करता था, लेकिन अब इस सूची में भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी शामिल हो गए हैं. विवादों के बीच 2014 में लागू हुए इस कानून के मुताबिक, जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली जानकारी लीक करने पर जुर्माने के साथ ही 10 साल की सजा का भी प्रावधान है. इस कानून के तहत रक्षा, कूटनीति और काउंटर-टेररिज्म आते हैं.

मुश्किल हो रहा है नजर रखना
विदेशी सेना से मिली जानकारी को स्टेट सीक्रेट के रूप में वर्गीकृत करने से संयुक्त अभ्यास और उपकरणों के विकास के लिए समझौतों में मदद मिलेगी. साथ ही चीनी सेना के मूवमेंट के बारे में डेटा साझा करना भी आसान हो जाएगा. जापान का यह कदम उसके लिए भी काफी फायदेमंद होगा, क्योंकि बीजिंग पूर्वी चीन सागर में जापान को लगातार परेशान कर रहा है और उसके लिए चीन की गतिविधियों पर अपने दम पर नजर रखना कठिन हो गया है.

चीनी गतिविधि में आई तेजी
पूर्वी चीन सागर में चीनी गतिविधियों में हाल के वक्त में काफी तेजी आई है. जापान के शासन वाले सेंकाकू टापू (Senkaku Islands) के आसपास चीन के कोस्ट गार्ड शिप चक्कर काटते रहते हैं. चीन इस द्वीप को दियाऊ करार देकर उस पर अपना दावा ठोकता है. गुरुवार को लगातार 80वें दिन चीनी जहाज यहां पहुंचे थे. सीक्रेट कानून में बदलाव के तहत जापान ने भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जो दोनों पक्षों को वर्गीकृत रक्षा जानकारी को गुप्त रखने के लिए बाध्य करते हैं. सभी देश डेटा लीक होने के खतरे को कम करते हुए एक-दूसरे से डिफेंस जानकारी साझा करेंगे.

रक्षा उपकरणों का होगा संयुक्त विकास
संशोधन 2016 में प्रभावी सुरक्षा कानून के तहत व्यापक सहयोग को बढ़ावा देने का काम करता है. जापान खतरे की हालत में आत्म-रक्षा के अधिकार का इस्तेमाल कर सकेगा और दूसरी सेनाओं को ईंधन और हथियार मुहैया करा सकेगा. इसके लिए इन सेनाओं के आकार, क्षमता और कार्यक्षेत्र की ज्यादा जानकारी भी चाहिए होगी, जो सीक्रेट डेटा में शामिल है. चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए हाल के वर्षों में जापान ने अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है. जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्स और ऑस्ट्रेलियाई सेना ने पहली बार पिछले साल लड़ाकू विमानों के साथ संयुक्त अभ्यास किया था और 2015 से हर साल मालाबार में मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स भारत-अमेरिका के साथ मिलकर नौसेना अभ्यास में हिस्सा ले रही है।

इस समझौते में रक्षा उपकरणों का संयुक्त विकास भी शामिल है, जिसमें अक्सर शक्तिशाली और वर्गीकृत प्रौद्योगिकी साझा करनी होती है. जापान और ब्रिटेन ने एक प्रोटोटाइप एयर-टू-एयर मिसाइल बनाई है, जबकि टोक्यो पेरिस के साथ अंडरवॉटर माइन डिटेक्ट करने के लिए मानवरहित क्राफ्ट पर काम कर रहा है. इसके अलावा, जापान ब्रिटेन के साथ F-2 फाइटर जेट पर भी काम कर रहा है, जिसे 2030 के मध्य तक तक तैनात करने की योजना है.


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