यूरोप में तेजी से बढ़े नस्लीय-धार्मिक संघर्ष, जर्मनी नंबर एक पर; ये रही मुख्य वजह

नई दिल्ली: यूरोप में मुसलमानों (Muslims in Europe) की आबादी तेजी से बढ़ रही है और ये संख्या 20 मिलियन यानि 2 करोड़ को पार चुकी है. इसमें पहली पीढ़ी यानि पिछले एक दशक में शरणार्थियों के तौर पर पहुंची आबादी की गिनती शामिल नहीं है, वर्ना ये आंकड़े कहीं अधिक होते. 2 करोड़ से अधिक आबादी दूसरी या तीसरी पीढ़ी के प्रवासियों (Second and Third-generation Immigrants) की आबादी है, जिनके पिता या दादा यूरोप में जाकर बस गए थे. प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) के मुताबिक यूरोप की कुल आबादी का ये 6 फीसदी है.

यूरोपीय देशों में जर्मनी पहले नंबर पर
मौजूदा समय में मुस्लिम आबादी के लिहाज से जर्मनी नंबर एक पर पहुंच गया है. जर्मनी में मुस्लिम आबादी 47.6 लाख पहुंच गई है, तो फ्रांस 47.1 लाख मुस्लिम आबादी का घर है. वहीं 29.6 लाख की संख्या के साथ ब्रिटेन तीसरे नंबर पर है.

अतिवाद और इस्लामोफ़ोबिया की वजह से समाज में अलगाव
यूरोपीय समाज में मुसलमानों की आबादी और अन्य आबादी में सामाजिक अंतर बहुत ज्यादा है. इसके पीछे की वजह इस्लामोफ़ोबिया और इस्लामिक अतिवाद को माना जाता है. दरअसल, यूरोपीय देशों में रह रहे मुसलमानों में सबसे बड़ी समस्या है, उनका अपनी तरह के लोगों यानि समूहों के बीच में रहना. यही वजह है कि दूसरी तीसरी पीढ़ी के मुसलमान भी आम यूरोपीय जीवनशैली नहीं अपना पाते और ‘पैरलल कम्युनिटीज’ वाली जीवनशैली में जीवन गुजार रहे हैं. यूरोप में इस तरह का सामाजिक अलगाव बेहद साफ दिखता है, क्योंकि मुसलमानों के बच्चे यूरोपीय स्कूलो में नहीं जाते और वो राजनीतिक-आर्थिक तौर पर भी खुद को अलग रखते हैं.

यूरोप में बढ़े हैं इस्लामिक आतंकवादियों के हमले
यूरोपी में साल 2014 से 2016 के बीच इस्लामिक आतंकवादी वारदातों में तेजी आई. कई आतंकी हमले इस्लामिक स्टेट से प्रेरित रहे. इन घटनाओं में बास्तील दिवस पर फ्रांस के नीस शहर (Bastile day attack at Nice) में हमला, बर्लिन के क्रिसमस मार्केट में हमला (Berlin Christmas Market Attack), पेरिस में कई आतंकवादी घटनाएं शामिल हैं. यूरोपोल के मुताबिक सिर्फ 2018 में जिहादी आतंकी हमलों में 62 लोगों की जानें चली गईं. हालांकि साल 2018 में ये संख्या 13 और साल 2019 में ये संख्या 10 तक सीमित रही.

आतंकी वारदातों से इस्लाम के प्रति बनी नकारात्मक सोच
यूरोप में इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े हमलों की वजह से इस्लाम को लेकर लोगों में नकारात्मक भावना बढ़ी है. इसका असर लोगों में इस्लाम के खिलाफ नफरत भी बढ़ा रहा है. मुसलमानों को अलग-थलग जीवनशैली अपनानी पड़ी है, और धार्मिक पहचान को लेकर उन्हें धमकाया भी गया. साल 2018 में फ्रांस में इस्लामोफ़ोबिया से जुड़े मामलों (Islamophobic Incidents) में 52 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई तो ऑस्ट्रिया (Austria) में ऐसे मामले 74 फीसदी तक बढ़ गए.

दक्षिणपंथियों के प्रति ध्रुवीकरण बढ़ा
यूरोप में मुसलमानों की आबादी और इस्लाम आधारित आतंकवादी घटनाओं से समाज में राजनीतिक विभाजन भी खूब बढ़ा है. पोलैंड में मुस्लिम शरणार्थियों पर रोक लगाने के नाम पर एक पार्टी सत्ता में भी आ चुकी है और उस पार्टी से जुड़े एक सांसद ने इस बारे में हाल ही में बयान भी दिया था. ये ट्रेंड पूरे यूरोप में देखने को मिल रहा है. यूरोपीय राजनीतिक पार्टियां(European Political Parties) भी बांटो ऐर राज करो की नीति पर आगे बढ़ गई हैं. बेल्जियम से लेकर स्वीडन तक डेमोक्रेटिक पार्टियों को राजनीतिक ताकत मिली है. यही नहीं, मध्यमार्गी राजनीतिक दलों के नेता भी मुस्लिम शरणार्थियों पर हमला बोलने से नहीं चूक रहे हैं.

जर्मनी में चेतावनी, फ्रांस-बेल्जियम में बने कानून
जर्मनी में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है. इसके बावजूद जर्मनी की चांसलर एंजेला मॉर्केल (German chancellor Angela Merkel) को इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ चेतावनी देनी पड़ी है. वहीं, फ्रांस में राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रो(President- Emmanuel Macron) के राज में सार्वजनिक स्थानों पर इस्लामिक बुर्के, हिजाब या नकाब के इस्तेमाल पर रोक लग चुकी है. यही नहीं, डेनमार्क, बेल्जियम में भी चेहरा ढंकना प्रतिबंधित हो चुका है.

‘जर्मनी में मुसलमानों को एंट्री देकर गलती की’
ईस्ट जर्मनी के पूर्व चांसलर हेल्मुट श्मिट (Helmut Schmidt) ने 2004 में छपे अपने संस्मरणों की किताब में लिखा है कि ‘उन्हें इस बात का पछतावा है कि उन्होंने जर्मनी में मुस्लिम शरणार्थियों को क्यों आने दिया’. उन्होंने लिखा है कि ‘मुसलमान और ईसाई एक साथ नहीं रह सकते’.

साल 2050 कर यूरोपीय आबादी का 20 फीसदी हिस्सा होंगे मुसलमान
अनुमानों के मुताबिक साल 2050 तक यूरोप की कुल आबादी का 20 फीसदी हिस्सा मुसलमानों का होगा. जर्मनी की कुल 44 फीसदी आबादी ये मानती है कि इस्लामिक और जर्मन ‘संस्कृति और मूल्यों’ में मौलिक विरोधाभास है. फिनलैंड में ऐसा मानने वालों का आंकड़ा 62 फीसदी है, तो इटली में 53 फीसदी आबादी यही मानती है.


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