यमन: मारिब शहर पर कब्जे की लड़ाई तेज, ढ़हने की कगार पर आधिकारिक सरकार का आखिरी गढ़?

सना/अदन: यमन में विद्रोही हूती गुट के लड़ाकों ने सरकारी कब्जे वाले आखिरी शहर मारिब पर हमला बोल दिया है. इस लड़ाई में अबतक 53 सरकारी और विद्रोही लड़ाके मारे जा चुके हैं, जिसमें सरकारी सेना के 5 अधिकारी भी शामिल हैं. सरकार की समर्थक सेना के सूत्रों ने एक न्यूज एजेंसी को ये जानकारी दी. बता दें कि मारिब उत्तरी यमन में आधिकारिक सरकार के कब्जे में बचा आखिरी बड़ा शहर है और सरकार का गढ़ भी. हूती विद्रोही फरवरी महीने से ही इस शहर पर कब्जे की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने शहर के एक हिस्से पर कब्जा भी जमा लिया है. जबकि पूरे शहर पर उनकी घेरेबंदी मजबूत हो चली है.

क्या है अभी के हालात?
सरकारी सेना के अधिकारी के सूत्रों के मुताबिक मारिब शहर अभी विद्रोहियों के कब्जे में नहीं है. उसपर सरकार का ही शासन है. लेकिन विद्रोहियों ने शहर के बाहरी और बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया है. विद्रोहिों ने उत्तरी पश्चिमी हिस्से की तरफ से हमला बोला है. इस लड़ाई में 5 अधिकारियों समेत 22 सरकारी सैनिक मारे जा चुके हैं, जो 31 हूती विद्रोहियों ने भी अपनी जान से हाथ धोया है. बता दें कि हूती विद्रोही अपने लड़ाकों के घायल होने या उनके मारे जाने की आधिकारिक सूचना कभी नहीं देते.

अगर सरकार मारिब की लड़ाई हार गई तो?

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की खबर के मुताबिक, यमन की आधिकारिक सरकार अगर मारिब की लड़ाई हूती विद्रोहियों से हारती है, तो ये उसके लिए बड़ा झटका होगा. बता दें कि अभी यमन की आधिकारिक सरकार अदन शहर में है. अदन को देश की अस्थाई राजधानी बनाया गया है, क्योंकि देश की वास्तविक राजधानी सना पर विद्रोही हूती ग्रुप का कब्जा है. गौरतलब है कि हूती विद्रोही लगातार ड्रोन और मिसाइल के जरिए पड़ोसी देश सऊदी अरब पर हमला बोलते रहते हैं. हाल के महीनों में कई बार हूतियों ने सऊदी अरब पर हमले किए हैं. उनकी मांग है कि यमन के एयरस्पेस और पोर्ट को व्यापार के लिए खोला जाए. इस बीच उन्होंने सऊदी अरब की तरफ से दिए गए संघर्ष विराम के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

साल 2014 से राजधानी सना पर हूतियों का कब्जा
बता दें कि साल 2014 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा जमा लिया था. उन्हें ईरान से सहायता मिलने की बात कही जाती है. सना पर हूतियों के कब्जे के बाद सऊदी अरब की अगुवाई में कई अरब देसों ने मार्च 2015 से उनपर हमला बोला है. और सऊदी गठबंधन की ये सेना यमन की आधिकारिक सरकार का समर्थन करती है. हालांकि इस गठबंधन को हूतियों के खिलाफ लड़ाई में कोई खास सफलता नहीं मिली है. भले ही उन्होंने यमन के भीतर जमकर हवाई हमले किए हों.


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