भाजपा का सिंधिया बनाम सिंधिया फार्मूला फिर फेल

मुख्य प्रतिनिधि ॥ भोपाल
कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया के प्रभाव क्षेत्र के मुंगावली-कोलारस में सेंधमारी के लिए भाजपा ने बड़ी चालाकी से महल की छांव का सहारा लेने की कोशिश की है। मगर अब तक भाजपा को अपनी इस कूटनीति का लाभ कहीं भी मिलता नहीं दिख रहा है। भाजपा न तो इस उपचुनाव में सिंधिया बनाम सिंधिया का माहौल बना सकी है और न ही महल की प्रतिष्ठा को ही भुनाने में उसे सफलता मिलती दिख रही है।
चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के पहले तक भाजपा इन दोनों क्षेत्रों को मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान के भरोसे ही जीतने की जुगत बनाने में जुटी थी। मुख्यमंत्री ने भी इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा था। इसके चलते मुंगावली और कोलारस के उपचुनाव ङ्क्षसधिया वर्सेस शिवराज के रूप में देखा जा रहा था। मगर चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही भाजपा ने पैंतरा बदलते हुए खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को दोनों क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंप दी। लंबे समय से नाराज चल रहीं यशोधरा को अचानक मना भी लिया गया और पूरी सरकार व पार्टी ने उन्हें हाथों हाथ लिया। इतना ही नहीं, स्व. राजमाता सिंधिया का नाम जपना भी भाजपा नहीं भूली। मंच से लेकर मैदान तक राजमाता के फोटो और नाम भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की जुंबा पर हर समय बने हुए हैं। मगर अब जबकि चुनाव प्रचार के अंतिम तीन दिन बचे हैं, भाजपा का यह पैंतरा चुनाव मैदान में औंधा मुंह गिरता नजर आ रहा है। इसकी वजह है महल की प्रतिष्ठा। प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा ने भले ही कांग्रेस को कोसने में कंजूसी न की हो, लेकिन अब तक मंच से कांग्रेस सांसद व अपने भतीजे ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया का नाम तक नहीं लिया है। महल का महत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी चुनाव मैदान में बनाए रखा है। ज्योतिरादित्य अपनी हर सभा में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को निशाने पर रखते हैं। सरकार के कारनामों पर जमकर प्रहार करते हैं, लेकिन यशोधरा का नाम जुबां पर नहीं आ सका। वैसे तो यह इस परिवार की परंपरा का हिस्सा रहा है। पूर्व में राजमाता सिंधिया और उनके पुत्र कांग्रेस स्व. माधवराव ङ्क्षसधिया के बीच कितनी ही दूरी बनी रही हो। मगर कभी राजनीति मैदान में इसका असर देखने को नहीं मिला। यही स्थिति स्व. सिंधिया और उनकी बहनों वसुंधरा और यशोधरा राजे सिंधिया के साथ भी रही। पारिवारिक तनाव कभी भी राजनीति में इस्तेमाल नहीं किए गए। बुआ-भतीजे यशोधरा व ज्योतिरादित्य के बीच तनातनी की खबरें भले ही सुर्खियों में आती रही हों। मगर परिवार और महल की प्रतिष्ठा कभी भी चुनावी प्रतिद्वंद्विता से कम नहीं हुई। परिवार की इसी प्रतिष्ठा ने एक बार फिर भाजपा के पैंतरे को आईना दिखाने का काम किया है।
ङ्क्षसधिया ने बढ़ाए रोड शो समाज में पहुंचे नेता
चुनाव प्रचार के अंतिम तीन दिनों के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति और कार्यक्रमों में बदलाव कर दिया है। अव्वल तो ङ्क्षसधिया के रोड शो और सभाओं की संख्या लगभग दोगुना कर दी गई है। अब एक दिन में दर्जन भर से ज्यादा रोड शो निकालकर एक पट्टी के कई गांवों में सिंधिया का चेहरा दिखाया जा रहा है। वहीं सभाओं की संख्या भी बढ़ा दी गई है। इसके अलावा अब जातिगत वोट बैंक में पहुंच बढ़ाते हुए पार्टी के छोटे-बड़े सभी नेताओं को अपने-अपने समाज के बीच पहुंचा दिया गया है। देर रात तक समाज की बैठकों के दौर चल रहे हैं।
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भाजपा चाहे जो भी कोशिश कर रही हो, लेकिन मुख्य मुकाबला ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच है। यही वजह है कि भाजपा ने पूरी सरकार को मैदान में खड़ा कर दिया है।
पंकज चतुर्वेदी, प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस


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