तेंदुओं के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा हिमाचल

शिमला ॥ एजेंसी
वन संपदा के लिए जाना जाने वाला हिमाचल तेंदुओं के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है। सूबे में पिछले एक साल के दौरान एक दर्जन से ज्यादा तेंदुओं की मौत हो चुकी है। इनमें तीन चौथाई की मौत शिकार के लिए इस्तेमाल होने वाले फंदे (कड़ाकी) में फंसकर हुई है।
विभाग तेंदुओं की इतनी ज्यादा मौतें होने के बाद भी नींद से नहीं जाग रहा है। तेंदुओं के बीमारी या हादसे से मरने का बहाना बनाकर विभाग हर बार पल्ला झाड़ लेता है। राजधानी शिमला से लेकर कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, सिरमौर और मंडी जिलों में कई तेंदुओं के शव मिल चुके हैं। इनमें अधिकतर मामलों में तेंदुए शिकार के लिए इस्तेमाल होने वाले फंदे में फंस कर घायल हो गए और उनकी मौत हो गई। कुछ मामलों में बीमारी और कुछ में गोली मारे जाने से मौत हुई है। तेंदुओं की बड़ी संख्या में हो रही मौतों के बावजूद विभाग गंभीर नजर नहीं आ रहा। हालात यह हैं कि हर बार तेंदुए की मौत पर विभाग पुलिस में एफआईआर तो दर्ज करा रहा है लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यही कारण है कि किसी भी मामले में अब तक जांच ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है। उधर, तेंदुओं की मौत पर चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कम पीसीसीएफ वन्य जीव आरसी कंग ने शिकार की बात से इनकार किया। उनका कहना है कि ज्यादातर मामलों में तेंदुओं की मौत निजी भूमि पर फसल बचाने के लिए लगाए गए फंदों में फंसने से हो रही है। इसको लेकर ठोस रणनीति बनाई जा रही है, ताकि तेंदुए जंगल से बाहर न आएं और लोगों व तेंदुए के बीच टकराव को कम किया जा सके। विभाग जंगल में तो तेंदुओं की रक्षा नहीं कर पा रहा।
विभागीय अभिरक्षा में भी तेंदुए सुरक्षित नहीं हैं। 15 मार्च 2017 को गोपालपुर चिडिय़ाघर से तीन तेंदुए भाग गए। इनमें से एक घायल हालत में मिला लेकिन दो का आज तक पता नहीं चला। वहीं, शाकराह में पकड़े गए घायल तेंदुए की इलाज के दौरान 29 नवंबर, 2017 को मौत हो गई।
साल 2004 में 761 थी संख्या
एक तरफ तेंदुओं की लगातार मौत हो रही है, वहीं दूसरी ओर विभाग को यह भी नहीं पता है कि वर्तमान में हिमाचल में कितने तेंदुए हैं। तेंदुओं की आखिरी बार गणना साल 2004 में हुई थी। उस दौरान तेंदुओं की संख्या 761 थी, लेकिन उसके बाद से चौदह साल बीत गए विभाग दोबारा गणना तक नहीं करा सका है।
शेड्यूल एक में आते हैं तेंदुए
तेंदुए शेड्यूल एक के अंतर्गत आते हैं। यह वह श्रेणी होती है, जिसमें अति संरक्षित प्रजाति के जीव जंतुओं को रखा जाता है। जानकारों का कहना है तेंदुओं के विलुप्त होने की आशंका को देखते हुए ही इन्हें इस श्रेणी में रखा गया है। खास बात यह है कि इस श्रेणी में आने वाले वन्यजीवों का शिकार करने या मारने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान भी है।
तेंदुओं की हो रही मौत, विभाग अंजान
एक तरफ साल में एक दर्जन से ज्यादा तेंदुओं की मौत हो रही है। वहीं, वन विभाग को तेंदुओं की मौत की जानकारी ही नहीं है। मुख्य वन्यजीव वार्डन आरसी कंग ने बताया कि पिछले एक साल में तीन तेंदुओं की मौत की ही जानकारी फील्ड से आई है।कहा कि वन्यजीव की वन क्षेत्र में मौत पर विभाग को रिपोर्ट की जाती है, लेकिन अगर उससे बाहर तेंदुए की मौत हो तो स्थानीय कंजरवेटर को ही जानकारी रहती है।
जाहिर है जब विभाग को प्रदेश स्तर पर तेंदुओं की मौतों की जानकारी ही न हो तो वह उनके लिए क्या करेगा।
-कहां कितने तेंदुए मरे
5 जनवरी 2017 हमीरपुर के पटलांदर में एक तेंदुए का शव मिला, विभाग ने ठंड से मौत का दावा किया
5 जनवरी 2017 को ही हमीरपुर के हनोह में 3 साल के एक और तेंदुए का शव मिला
26 फरवरी 2017 को कांगड़ा के रक्कड़ के जंगल में फंदे में फंसकर मरी मादा तेंदुआ का शव मिला
1 मार्च 2017 को नाहन के कौलावाला में तेंदुए का शव मिला, पंजे कटे थे, लेकिन विभाग ने शिकार से इनकार किया
5 मार्च 2017 को कांगड़ा के डाडासीबा में मादा तेंदुए का शव फंदे से फंसा मिला
10 सितंबर 2017 को ऊना के दियोली गांव में तेंदुए का शव फंदे में फंसा मिला
24 नवंबर 2017 को हमीरपुर के भोटा में तेंदुए का शव मिला। विभाग ने पहले जहर से मौत की बात कही, लेकिन बाद में ठंड से मौत बताई
सितंबर 2017 में ऊना के टटेहड़ा गांव में तेंदुए का शव फंदे से फंसा मिला
नवंबर 2017 में ऊना के ही दियोली गांव में फंदे में फंसकर घायल तेंदुए ने दम तोड़ दिया
29 नवंबर को शिमला के बैनमोर में तेंदुए के बच्चे का शव मिला
9 दिसंबर 2017 को कांगड़ा के इंदौरा क्षेत्र के इंदपुर गांव में शिकारी के फंदे में तेंदुए का पैर फंसने के बाद मौत
31 दिसंबर 2017 को गगरेट के बड़ोह गांव में तेंदुए का शव मिला, शव पर चोट के निशान थे
1 फरवरी 2018 को बिलासपुर के बागी बनौला पंचायत में तेंदुए का शव मिला
8 फरवरी 2018 को मंडी के सुंदरनगर में सात महीने की मादा तेंदुए का शव मिला, शरीर पर चोट के निशान
18 फरवरी 2018 को पालमपुर के राख बल्ला इलाके में दो तेंदुए फंदे में फंसे मिले, जिनकी मौत हो गई
खाल मिलने के बाद भी शिकार से इनकार
प्रदेश में लगातार तेंदुओं की खाल के साथ शिकारी गिरफ्तार हो रहे हैं। हाल ही में सोल में तेंदुए की खाल के साथ 3 तस्कर गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते यह तक पता नहीं चला कि खाल कहां से मिली और किसे बेचने जा रहे थे। इसी तरह सिरमौर पुलिस ने कुछ समय पहले दो तस्करों को गिरफ्तार किया था। तस्करों की मौजूदगी से तेंदुओं के शिकार से इनकार नहीं किया जा सकता।


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें