बाघ खतरे में है… हम सब को मिल कर बचाना है

वन विहार में आए पर्यटकों को किया जागरूक
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
बाघों को बचाने के लिए हम सब को प्रयास करना पड़ेगा। बड़ी बिल्ली की प्रजाती यानि बाघ , जो कि विलुप्त होने की कगार में है। इन बाघों की घटती संख्या कारण है शिकार, लगातार बाघों का शिकार किया जा रहा है और हम सबकों मिलकर इसे रोकना है।
वन विहार नेशनल पार्क ने आयोजित वाक इन वर्कशाप में वन विहार में आए पर्टयकों को अतंरराष्ट्रीय वन्यप्राणी दिवस पर बाघों के बारे में उन्हें कहानी के माध्यम से जागरुक किया गया । पर्यटकों को बिग कैट और जैव विविधता के प्रति जागरूक करने के लिए पहली बार वॉक इन वर्कशाप का आयोजन किया गया जो सफल रहा है। वन्य प्राणी चिकित्सक अतुल गुप्ता ने 1545 पर्यटकों को जागरूक किया। इस अवसर पर पर्यटकों को बाघ और तेंदुए के बैच बांटे गए। वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एके खरे ने पर्यटकों को बाघों को बचाने के लिए शपथ दिलाई । उन्होंने बाघों के बारे में जानकारी दी। बाघों की डाइट और स्किन के बारे में बताया। पर्यटकों को जानकारी देते हुए बिल्ली की विलुप्त होने की कगार पहुंच चुकी सफेद बाघ की प्रजाती के बारे में बताया कि सबसे पहले मध्य प्रदेश के रीवा जिले में वर्ष 1951 में राजा को शिकार के दौरान सफेद शेर की प्रजाती मिली थी । जिसका नाम मोहन रखा गया था । वन विहार में भी एक सफेद शेर है जिसका नाम रिद्धी है । देश में लगातार बाघों की संख्या घटती जा रही है। जिसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए। वन विहार की संचालिका समीता राजौरा का कहना है विश्वभर में बड़ी बिल्ली की 40 प्रजाती है। मध्य प्रदेश बाघों को संरक्षित करने वाली तीसरा राज्य है । कर्नाटक और उत्तराखंड के बाद मध्यप्रदेश का नाम आता है। कर्नाटक में 406, उत्तराखंड में 340 , मध्य प्रदेश में 308 और उत्तरप्रदेश में 117 बाघ मौजूद है। पूरे देश भर में 2223 बाघों की मौजूदगी वर्ष 2018 में दर्ज की गई है।


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