दुकानों और मॉल्स में सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य होगा

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की सुरक्षा को लेकर मप्र सरकार द्वारा लाए जा रहे कानून का मसौदा गृह विभाग ने तैयार कर लिया है। इस कानून में कईअहम प्रावधान किए गए हैं। सार्वजनिक स्थलों जैसे मॉल्स और दुकानों के साथ-साथ चौक-चौराहों पर लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से इसमें व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ आम लोगों की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
प्रस्तावित कानून पर अंतिम रूप से चर्चाके लिए सोमवार को गृह मंत्री की अध्यक्षता में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने इस पर चर्चाकी। डीजीपी आरके शुक्ला और एडीजी इंटेलीजेंस राजीव टंडन ने कानून में प्रस्तावित किए गए प्रावधानों को लेकर गृह मंत्री के सामने विस्तृत प्रजेंटेशन दिया। बताया जाता है कि गृह मंत्री ने प्रस्तावित कानून में शामिल किए गए सभी बिंदुओं पर अपनी सहमति दी है। गृह मंत्री की सहमति के बाद कानून को अंतिम रूप से विचार के लिए विधि विभाग को भेजा गया है। विधि विभाग प्रस्तावित प्रावधानों की वैधानिकता पर अपनी राय देगा।
जुर्माने का प्रावधान
दुकान और मॉल संचालकों के साथ-साथ औद्योगिक प्रतिष्ठानों को हर छह महीने में रिटर्न जमा करके बताना होगा, कि उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से जो उपकरण लगाए हैं, वह बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। प्रत्येक छह महीने में इस तरह की जानकारी पुलिस को नहीं देने वाले दुकान और मॉल संचालकों के खिलाफ जुर्माने के प्रावधान इस कानून में किए गए हैं। कानून का पालन नहीं करने की दशा में पहली बार में जुर्माना और इसके बाद दुकान का लायसेंस निरस्त किया जा सकेगा।
यह हैं प्रस्तावित कानून
आंध्रप्रदेश के पब्लिक सेफ्टी रेग्यूलेशन बिल की तर्ज पर लाए जा रहे इस कानून में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें निजी प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने को अनिवार्य किया गया है। इसमें वे सभी तरह की दुकानें और शॉपिंग मॉल्स शामिल हैं, जहां 100 से ज्यादा लोगों की आवक-जावक प्रतिदिन होती है। जरूरत पडऩे पर पुलिस इनका उपयोग कर सकेगी। इसके जरिए पुलिस शहरी क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थलों और अपराध संभावित क्षेत्रों को पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरे से कवर करना चाहती है। सरकार के लिए ऐसा करना, वित्तीय कारणों से संभव नहीं है, इसलिए इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी इसमें की जा रही है। कानून के रूप में लाकर इसे अनिवार्य किया जा रहा है। इसमें अनिवार्य किया जा रहा है निजी प्रतिष्ठान और कंपनियां कम से कम एक महीने के वीडियो फुटेज का रिकार्ड अनिवार्य रूप से रखेंगी।
पहले चरण में सभी निगमों में
इस कानून के क्रियान्वयन के पहले चरण में प्रदेश के सभी 14 नगर निगम शहरों को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। इसके बाद इसका विस्तार पूरे प्रदेश में किया जा जाएगा।


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