झील में मैरिज गार्डन और मकानों का मिल रहा सीवेज

नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ को नहीं है जानकारी
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
बड़े तालाब में बोट क्लब समेत एक दर्जन मैरिज गार्डन व 650 से अधिक मकानों की गंदगी मिल रही है। नगर निगम ने तालाब के संरक्षण के लिए मास्टर प्लान बनाया था, लेकिन पिछले चार साल में सरकार और नगर निगम बड़े तालाब के लिए बनाए गए मास्टर प्लान को भूल गया। वहीं दूसरी तरफ सरकार खुद झील में गतिविधियां बढ़ाने के नाम पर बोट क्लब का लगातार विस्तार कर रहा है। इतना ही नहीं झील में ही लेजर-शो का निर्माण भी किया जा रहा है, जो जल्द भोपालवासियों को समर्पित किया जाएगा। बड़े तालाब के पानी में 18 संस्थानों का सीवेज मिल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लाल इमली मस्जिद, आलमगिरी-1 मस्जिद, राम मंदिर के ऊपर का घर, राम मंदिर, शीतला माता मंदिर, बादल महल फिल्टर प्लांट एवं इमराजउल्ला मस्जिद के मध्य का मकान, मस्जिद इमराजउल्ला, मिशा अपार्टमेंट, मस्जिद आलमगिरी-2, करबला मस्जिद, मदरसा, भदभदा गेट के पास झुग्गी क्षेत्र के लगभग 250 मकानों का सीवेज, भदभदा गांव के 16 मकान, मस्जिद दिलकुशा गद्दा घाट नए भदभदा पुल के पास 3 शौचालय व सात मकान, भोज सेतु झुग्गी बस्ती क्षेत्र के 16 मकान, वन विहार गेट के मध्य बनी 15 झुग्गी बस्ती के मकान शामिल हैं। झील के कैचमेंट एरिया में इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज, टीएम कान्वेंट स्कूल, खानूगांव के 50 मकान, बोरवन के 36 मकान, बेहटा गांव के 50 मकान, इंदिर नगर बस्ती की 200, भदभदा की 200, वन विहार गेट के पास की 210 और भोज सेतु के पास 100 झुग्गियां बनी हैं। गौहर महल और आसपास के मकानों की गंदगी भी बड़ी झील में ही मिल रही है। बोट क्लब और कैफेटेरिया को भी नगर निगम ने झील में प्रदूषण फैलाने वाली सूची में शामिल किया है। इसके अलावा झील किनारे के धार्मिक स्थल मंदिर और मस्जिद भी झील में प्रदूषण फैलाने के मामले में पीछे नहीं हैं। तालाब को गंदा करने वाले निर्माणों के साथ ही कैचमेंट एरिया के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नगर निगम और जिला प्रशासन को संयुक्त रूप से करना है। नगर निगम द्वारा नगरीय प्रशासन विभाग को भेजी गई जानकारी के मुताबिक बेहटा और मुगालिया छाप में झील किनारे की करीब 9.9327 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है। इधर नगर निगम और जिला प्रशासन ने बड़ी झील के डूब क्षेत्र के 50 और 200 मीटर परिधि में आने वाले मकानों और भूमि को चिंहित कर लिया है। तालाब को करीब 44 हेक्टेयर एरिया डूब क्षेत्र घोषित किया गया है। झील को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रदूषित करने वाली संरचनाओं को शिफ्ट करने की लंबे समय से मांग उठ रही है। विधानसभा में भी सरकार मान चुकी है कि बोट क्लब सहित आसपास के धार्मिक स्थलों, सीवेज पंप हाऊस जैसे प्रमुख स्थलों से झील में प्रदूषण हो रहा है। झील किनारे करीब एक दर्जन मैरिज गार्डन बने हुए हंै। इनकी गंदगी भी झील में ही पहुंच रही है। नगर निगम द्वारा कई बार नोटिस थमाने के बावजूद इस मामले में कोई रोक नहीं लग सकी है।
चार साल से डीपीआर ठंडे बस्ते में!
बड़ी झील के संरक्षण-संवर्धन के लिए नगर निगम डीपीआर तैयार करवा रहा था। यह डीपीआर मार्च 2014 तक तैयार होना है। नगर निगम सीवेज नेटवर्क तैयार किए जाने के लिए पूरे शहर की डीपीआर तैयार कर रहा था। नगर निगम प्रशासन का मानना है कि सीवेज नटवर्क बिछाने के लिए तैयार किए जा रही डीपीआर में बड़े तालाब में मिल रही गंदगी वाले क्षेत्रों को भी शामिल किया जा रहा है, लेकिन नगर निगम पिछले चार साल में डीपीआर को ही भूल गया।
104 करोड़ से तीन तालाबों का सीवेज रोकेगा बीएमसी
नगर निगम 104 करोड़ रुपए से तीन तालाबों के सीवेज को रोकने का काम करेगा। नगर निगम झील संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी संतोष गुप्ता ने बताया कि अहमदाबाद की अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी को नगर निगम ने यह काम सौंपा है, जिसमें बड़े तालाब, छोटे तालाब और शाहपुरा तालाब में मिलने वाले सीवेज को रोकने के लिए ट्रिटमेंट प्लांट और सीवेज पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाएगा। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के बाद तालाब में मिलने वाला सीवेज पूरी तरह से रूक जाएगा।


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