बिगड़ा है सरकार का वित्तीय प्रबंधन, बार-बार बदलना पड़ रहे हैं आदेश

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
राज्य सरकार बेहतर वित्तीय प्रबंधन और इसके लिए आईटी के उपयोग के चाहे कितने दावे करे लेकिन सरकार अब तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं बना पाई है जिसमें पूरे साल भर वित्तीय व्यवस्था बेहतर बनी रहे। वित्तीय वर्षके अंतिम दिनों में खर्चों पर प्रतिबंध और मितव्ययता के नाम कामों पर रोक लगाने की वित्त विभाग की परंपरा सरकार के वित्तीय आधुनिकीकरण पर पलीता लगाने के लिए काफी है। न तो वित्त विभाग को इस बात की जानकारी होती है कि विभागों के पास किस योजना में कितना पैसा बचा है और न ही विभागों को इस बात की कोईपरवाह होती है कि किसी काम के लिए आवंटित राशि को समय को किस समय पर खर्च है।
मितव्ययता को लेकर वित्त विभाग के निर्देशों का आलम यह है कि कई विभागों को यह आदेश समझ में नहीं आते। जिसके कारण कहां राशि की जा सकती हैऔर कहां नहीं, इसको लेकर संशय और असमंजस की स्थिति बनी रहती है। जब जरूरी कामकाम भी इस मितव्ययता के दायरे में आते हैं, तब राजनीतिक और प्रशासनिक दवाब में वित्त विभाग को बार-बार सफाई देनी पड़ती है। एकीकृत वित्तीय सूचना प्रबंधन प्रणाली को सालों से अपनाकर ऑनलाइन बजट मॉनीटरिंग के दावे करनी वाली मप्र सरकार और वित्त विभाग का यह दावा इस स्थिति में पूरी तरह झूठा दावा दिखाई देता है। मौजूदा वित्तीय वर्षके अंतिम दिनों में हर बार की तरह इस बार भी वित्त विभाग ने मितव्ययता के लिए विभागों को निर्देश जारी किए थे। इसके लिए विभाग ने दो जनवरी को विस्तृत निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के मिलने के बाद अधिकांश विभाग गफलत में पड़ गए। वित्त विभाग के आदेशों की कठिन सरकारी भाषा और कोईइसमें स्पष्टता नहीं होने के कारण विभागों में कामकाज की रफ्तार सुस्त पड़ गई। विभाग प्रमुखों ने नए कामों के साथ-साथ पुराने कामों को भी रोक दिया। जिलों से लेकर प्रदेश तक यह स्थिति बनी। विकास कार्य जैसे राजनीतिक महत्व के कार्यों के रूकने के बाद मचे हल्ले के बाद वित्त विभाग को अपने आदेश को न केवल समझाना पड़ा बल्कि कई मामलों में इसे शिथिल और संशोधित भी करना पड़ा।
विभागों के बीच नहीं है समन्वय
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वित्त मंत्री जयंत मलैया प्रदेश में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लाख दावे करें लेकिन स्थिति यह हैकि सरकार का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। वित्त विभाग के साथ दूसरे विभागों का बेहतर समन्वय नहीं होने के कारण आए दिन ऐसी स्थितियां बनती हैं, विभागों को अपने आदेश बदलने पड़ रहे हैं। वित्तीय व्यस्था और भुगतान प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन करने के बाद भी विभागों के खाते, खर्चों को लेकर हमेशा गफलत की स्थिति रहती है। केवल ट्रेजरी को ऑनलाइन करके सीधे खातों में भुगतान की व्यवस्था करने को ही सरकार बेहतर वित्तीय प्रबंधन मान रही है।
23 दिनों के लिए लगाई सभी खरीदी पर रोक
भोपाल (विसं)। वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर बढ़ रहे राज्य शासन ने अब 23 दिनों के लिए सरकारी खर्चों पर रोक लगा दी है। जारी जारी आदेश के अनुसार, वर्ष 2017-18 में व्यवसायिक सेवाओं के लिए भुगतान वर्ष 2016 -17 में विभाग के तहत इस मद के अनुसार समग्र व्यय की सीमा तक सीमित रखा जाए। बिजली एवं जल प्रभार, दूरभाष किराया, महसूल एवं कर को छोड़कर अन्य कार्यालय खर्चों को सीमित करने के लिए कहा गया है। कार्यालय उपकरण, वाहनों का क्रय तत्काल प्रभाव से रोके जाने के निर्देश जारी किए गए हैं।


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