शक्ति की आराधना में सजे तप-साधना के दरबार

चैत्र नवरात्र की शुरुआत आज से हो गई है। नौ दिनों के इस उत्सव को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस में शक्ति रूपा माता के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन 25 मार्च को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त
घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 08.02 से 11.32 बजे तक चर, लाभ और अमृत के चौघडिय़ा और वृषभ लग्न में है। हालांकि प्रतिपदा एक दिन पहले 17 को शाम 7.45 बजे ही शुरू हो गई है। संवत्सर के शुरू होते ही नया आकाशीय मंत्रिमंडल भी सक्रिय हो जाएगा। राजा सूर्य और मंत्री पद शनि देव संभालेंगे। वित्त मंत्रालय और हरियाली का दायित्व चंद्रमा के पास रहेगा।
ऐसे करें घट स्थापना
नवरात्रि पूजा के प्रथम दिवस कलश की स्थापना के लिए पहले जहां घट रखना है उस स्थान अच्छी तरह साफ करके शुद्ध कर लें। इसके बाद गणेश जी का स्मरण करते हुए लाल रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर थोड़ा चावल रखें। अब एक मिट्टी के पात्र में जौ बो कर, पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और इसके मुंह पर रक्षा सूत्र बांध दें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनायें। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल और सिक्का डालें, फिर उस ऊपर आम या अशोक के पत्ते रख कर ऊपर से नारियल रख दें। इसके बाद इस पर लाल कपड़ा लपेट कर उसे मौलि से लपेट दें। अब सभी देवी देवताओं का आवाहन करें और उनसे नौ दिनों के लिए घट में विराजमान रहने की प्रार्थना करें। दीपक जलाकर कलश का पूजन करें, और इसके सम्मुख धूपबत्ती जला कर इस पर फूल माला अर्पित करें।
रायसेन में घूमती है मां काली की गर्दन
भोपाल। मां काली के विभिन्न आकर्षक रूपों से हमारा परिचय है लेकिन भोपाल से सटे रायसेन में एक ऐसा मंदिर है जहां मां काली की मूर्ति एक बार स्वयं अपनी गर्दन सीधी करती है। इस मौके पर माता के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा होता है। मान्यता है कि जिस भी भक्त को माता की सीधी गर्दन देखने का मौका मिलता है उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।
नवरात्र में होती है विशेष पूजा
राजधानी से महज 15 किमी दूर रायसेन जिले के गुदावल गांव में मां काली का प्रचीन मंदिर है। यहां मां काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा के साथ भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमाए विराजमान है। आमतौर पर यहां पूरे साल माता के भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्र ंके बाद वियजदशमी पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है। चैत्र नवरात्र में रामनवमी के दिन विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
सूनी गोद भरती है मां
बताया जाता है कि इस दिन माता की लगभग 45 डिग्री झुगी गदरन कुछ पलों के लिए सीधी होती है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मंदिर के महंत मंगल दास त्यागी बताते हैं कि मंदिर से जुड़ी अलग- अलग मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जिन माता-बहनों की गोद सूनी होती है, वह श्रृद्धाभाव से यहां उल्टे हाथ लगाती हैं उनकी मान्यता अवश्य पूरी होती है।
अनोखी है प्राकृतिक छटा
कंकाली मंदिर रायसेन रोड पर स्थित बिलखिरिया गांव से कुछ ही दूरी पर जंगल के बीच बना हुआ है। मंदिर के चारो लगे हरे-भरे पेड़ पौधे यहां सबसे बड़ा आकर्षण है।


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