एससी एसटी वर्ग में आक्रोश मंत्री-विधायकों ने साधी चुप्पी

अनिल सिरवैया ॥ भोपाल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण कानून में किए गए बदलाव के बाद अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में भले ही आक्रोश है लेकिन आरक्षित सीटों से चुनकर आने वाले इन वर्गों के जनप्रतिनिधि इस मामले में गंभीर नहीं हैं।
सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के भाजपा विधायकों की बैठक बुलाईथी। इस बैठक में मुख्यमंत्री चौहान के अलावा संगठन महामंत्री सुहास भगत, अतुल राय, मनोहर ऊंटवाल, सत्यनारायण जटिया, अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष सूरज कैरो, जनजाति मोर्चा अध्यक्ष गजेन्द्र पटेल, मंत्री लालसिंह आर्य, डॉ. गौरीशंकर शेजवार, रंजना बघेल, विजय शाह, अंतरसिंह आर्य सहित वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार इस बैठक के पहले ही सभी विधायकों और पदाधिकारियों को सूचित कर दिया गया था कि इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर आए फैसले पर कोईबात नहीं होगी। बैठक में शामिल हुए विधायकों से जब इस बारे में पूछा गया कि तो जवाब देने से बचते रहे। लिहाजा आरक्षित वर्ग के किसी भी सांसद, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारी ने इस पर कोईबात नहीं की। उल्लेखीय है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इन दोनों वर्गों में आक्रोश है। दोनों वर्गों के अनेक समाजिक संगठन इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हंै। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इन वर्गों के संगठन पूरे प्रदेश में आंदोलन और कार्यशालाओं के आयोजन की तैयारी कर रहे हैं।
तीन दिनों तक अंबेडकर जयंती मनाएगी सरकार
इधर राज्य सरकार और भाजपा संगठन इस बार प्रदेश भर में अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में तीन दिनों तक विभिन्न प्रकार के आयोजन करेगा। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में असंगठित श्रमिक सम्मेलन होंगे। 31 मार्च को मुख्यमंत्री रेडियो और टी.वी. के माध्यम से प्रदेश भर के श्रमिकों को संबोधित करेंगे। दिल से कार्यक्रम इस बार बाबा साहब अंबेडकर और उनके सपनों को पूरा करने में मध्यप्रदेश सरकार की भूमिका पर आधारित होगा। जयंती से 3 दिन तक भाजपा के सभी मंडलों में 14, 15 और 16 को हितग्राही सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस का प्रदर्शन कल
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुभाष काशीनाथ महाजन विरूद्व स्टेट ऑफ महाराष्ट्र प्रकरण में हाल ही में दिये गये फैसले के बाद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के समक्ष गंभीर संकट पैदा हो गया है। इसके बाद उन पर हो रहे अत्याचारों से उन्हें खुद को बचाने में अधिक मुश्किलातों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि केंद्र ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा के दबाव में न्यायालय के समक्ष अपना तर्क सम्मत पक्ष नहीं रखा, क्योंकि अनुसूचित जाति तथा जनजाति से संबद्ध लोगों की आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर करने की संघ कबीले की शुरू से ही नीति रही है और यही कारण है कि वह इस वर्ग के हितों को संरक्षण देेने वाले मौजूदा कानून को खत्म करने का षड्यंत्र कर रही है।


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