कोरोना: ये महिलाएं दिल्ली में प्लाज्मा दान नहीं कर सकतीं, डॉक्टर्स ने बताए कारण

नई दिल्ली: ऐसी महिलाएं जो गर्भधारण कर चुकी हैं अथवा शिशु को जन्म दे चुकी हैं वे अपना प्लाज्मा दान नहीं कर सकतीं हैं क्योंकि हो सकता है कि गर्भावस्था के दौरान उनमें एक खास प्रकार के एंटीबॉडी विकसित हो गए हों और कुछ मामलों में वे प्लाज्मा प्राप्तकर्ताओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. चिकित्सकों ने यह जानकारी दी है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंसेज में भारत के पहले प्लाज्मा बैंक का बृहस्पतिवार को उद्घाटन किया.

वर्तमान में कौन अपना प्लाज्मा दान कर सकता है और कौन नहीं, इस संबंध में कड़े दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. पात्र दानकर्ताओं के संबंध में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार 18-60 आयु वर्ष के ऐसे लोग जो कोरोना वायरस संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो गए हैं और जिनमें 14 दिन तक संक्रमण के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए हों, वे प्लाज्मा दान कर सकते हैं.

ऐसे लोग जिनका वजन 50 किलोग्राम से कम है, गर्भधारण कर चुकी महिलाएं, कैंसर पीड़ित और गुर्दे, हृदय, फेफड़े या यकृत के रोग से पीड़ित लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते हैं.

यह पूछे जाने पर कि गर्भधारण कर चुकी महिलाएं प्लाज्मा दान क्यों नहीं कर सकतीं, आईएलबीएस के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि महिलाएं गर्भावस्था और शिशु को जन्म देते वक्त जब शिशु के रक्त के संपर्क में आती हैं तो हो सकता है कि उनमें ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजीन्स (एचएलए) एंटीबॉडीज़ बन गए हों, जो कि श्वेत रक्त कणिकाओं(सतहों) पर एंटीजीन्स के खिलाफ निर्देशित हैं.

चिकित्सक ने कहा, ‘ऐसा होता है क्योंकि भ्रूण में पिता के भी आनुवंशिक घटक होते हैं तो इस बाहरी तत्व के खिलाफ माता का रोग प्रतिरोधी तंत्र एंटीबॉडीज बनाता है.’

विशेषज्ञों के अनुसार किसी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में एचएलए एंटीबॉडीज की मौजूदगी स्वास्थ्य संबंधी किसी प्रकार की दिक्कत नहीं पैदा करता, लेकिन जब एचएलए एंटीबॉडीज वाला प्लाज्मा चढ़ाया जाता है तो दुर्लभ मामलों में यह उस व्यक्ति में टीआरएएलआई रिएक्शन कर सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि टीआरएएलआई (चढ़ाने से जुड़ी फेफडे की चोट) एक जटिलता है जिसमें सांस लेने में बेहद दिक्कत, बुखार होना और कम रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

उन्होंने कहा कि या तो गर्भधारण कर चुकी महिलाएं दान नहीं कर सकतीं अथवा हमें एचएलए एंडीबॉडीज की मौजूदगी का पता लगाने के लिए प्लाज्मा की जांच करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर एचएलए एंडीबॉडीज पाए जाते हैं तो प्लाज्मा का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.


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