मेल-इन वोटिंग के पक्ष में नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जताई यह आशंका

वॉशिंगटन: अमेरिका (America) में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) को लेकर सियासी सरगर्मियों के बीच वोटिंग के तरीके पर भी घमासान मचा हुआ है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि मेल-इन वोटिंग (mail-in voting) सही विकल्प नहीं है. उनका कहना है कि इसमें कई तरह की परेशानियां आएंगी और चुनाव दोबारा भी कराना पड़ सकता है.

ट्रंप बार-बार यह कहते आए हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर पोस्टल वोटिंग (mail-in voting) का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इससे चुनाव में धांधली की आशंका भी बनी रहेगी. आपको बता दें कि अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होना है और कई जनमत सर्वेक्षणों में ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन की दावेदारी को मजबूत बताया गया है. यही वजह है कि ट्रंप मेल-इन वोटिंग से डरे हुए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि मेल-इन वोटिंग के चलते चुनाव दोबारा कराना पड़ सकता है, लेकिन ये बात अलग है कि उनके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है. पिछले 200 सालों के इतिहास में अमेरिका में कभी भी चुनावी कार्यक्रम में इस तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया. यहां तक कि गृहयुद्ध, वैश्विक मंदी और दो विश्व युद्धों के दौरान भी नहीं. राष्ट्रपति ट्रंप ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि यदि चुनाव मेल-इन वोटिंग से कराया जाता है, तो यह गलत फैसला होगा. संभव है कि हमें कोई परिणाम ही न मिलें. उस स्थिति में चुनाव दोबारा कराने होंगे और शायद ही कोई इसके लिए तैयार हो.

मेल-इन वोटिंग ही क्यों?
कोरोना महामारी के चलते अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में मेल-इन वोटिंग को तवज्जो देने की मांग उठ रही है. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं. विशेषज्ञों के साथ ही आम लोगों को डर है कि यदि सामान्य तरीके से वोटिंग की गई तो संक्रमण फैलने की रफ्तार में तेजी आ सकती है. वहीं, इतनी बड़ी संख्या के हिसाब से वोटिंग के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों को अमल में लाना भी संभव नहीं होगा, इसीलिए पोस्टल वोटिंग पर जोर दिया जा रहा है. चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर के चुनाव में आधे मतपत्रों को कोरोना वायरस संकट के कारण मेल द्वारा डाला जा सकता है.

विरोध का नहीं कोई आधार
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही मेल से वोटिंग का विरोध कर रहे हों, लेकिन वह खुद भी इसी तरह से वोट डालते आये हैं. ऐसे में उनका यह कहना कि चुनाव में धांधली हो सकती है, विरोधियों के गले नहीं उतर रहा है. मेल-इन वोटिंग में धांधली का पिछला कोई इतिहास भी नहीं है, इसके बावजूद ट्रंप को लगता है कि भले ही कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका हो वोटिंग सामान्य तरीके से ही होनी चाहिए.

कुछ राज्यों में पहले से व्यवस्था
अमेरिका के कुछ राज्य पहले से ही यूनिवर्सल मेल-इन वोटिंग इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इस प्रक्रिया के तहत प्रत्येक मतदाता को डाक द्वारा एक मतपत्र प्राप्त है, जिसमें वह अपनी पसंद के प्रत्याशी पर मुहर लगाकर वापस भेज देता है. वहीं, कैलिफोर्निया और नेवादा सहित कुछ अन्य राज्यों ने भी कोरोना संकट के कारण नवंबर चुनाव के लिए सभी मतदाताओं को मतपत्र भेजने की योजना बनाई है. हालांकि, ये बात अलग है कि पोस्टमास्टर जनरल लुइस डेजोय खुद भी इस व्यवस्था सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने हाल ही में कहा था कि मेल-इन-वोटिंग से बहुत से अमेरिकी वोटर अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे क्योंकि उनके मतों की गिनती ही नहीं हो सकेगी. ऐसा इसलिए कि डाक विभाग इतने बड़े पैमाने पर वोटों की गिनती में सक्षम नहीं है.

भले ही अनुपस्थित रहें, लेकिन…
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भले ही मतदाता वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहें, लेकिन मेल-इन वोटिंग प्रक्रिया नहीं अपनाई जानी चाहिए, क्योंकि यह एक नए संकट को जन्म देगी. उनका मानना है कि लोग मेलबॉक्स से बैलेट निकाल सकते हैं. इसके अलावा, कई तरह से हेराफेरी की जा सकती है. गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देश है. ऐसे में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि यदि मतदान के लिए लोग वोटिंग केंद्रों पर जुटते हैं, तो संक्रमण के तेजी फैलने की आशंका बनी रहेगी.


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