सेहत या सत्ता: दुनियाभर के नेताओं के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने पेश किया उदाहरण

टोक्यो: अमूमन नेता अपनी कुर्सी नहीं छोड़ते फिर भले ही उनकी सेहत कितनी भी खराब क्यों न हो जाए, लेकिन जापान (Japan) के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) ने एक उदाहरण पेश किया है. स्‍वास्‍थ्‍य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

शिंजो आबे ने एक तरह से उन नेताओं को राह दिखाई है, जो स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बावजूद सत्ता का मोह नहीं छोड़ते. पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) पर आधारित एक फिल्म में दिखाया गया था कि बीमार नेता को अयोग्य नेता के रूप में देखा जाता है, और स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान व्यक्ति सबसे अच्छा निर्णय लेने की क्षमता खो देता है. संभवत: इसी डर के चलते नेता अपनी बीमारी की खबर आम नहीं करते और कुर्सी से चिपके रहते हैं.

जयललिता और सईद की सेहत रही ‘राज’
2016 में भारत के तमिलनाडु राज्य की मुख्यमंत्री का उनके कार्यालय में निधन हो गया था. जयललिता (Jayalalithaa) दो महीने से अधिक समय से अस्पताल में भर्ती रही थीं. हालांकि, उन्होंने एक पार्टी नेता को अपनी जिम्मेदारियां सौंप दी थीं, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की और अपने जीवन के आखिरी क्षण तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं. उसी वर्ष, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Mohammad Sayeed) का निधन हुआ था. वह भी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. दो सप्ताह तक आईसीयू में रहे, लेकिन उन्होंने अंतिम सांस तक सत्ता पर कब्जा रखा. जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब उनकी सेहत को लेकर भी सवाल उठाये जाते थे. कहा जाता है कि हर सुबह उनके दरवाजे पर दो वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद रहते थे. मीडिया द्वारा बार-बार पूछा गया कि क्या भारत के प्रधानमंत्री अस्वस्थ हैं, लेकिन कभी इसका सीधा जवाब नहीं मिला. क्योंकि सवाल यह था कि वाजपेयी की जगह कौन लेगा? हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे नेता थे, जिन्होंने कभी सत्ता का मोह नहीं किया.

यॉट पर कराई गई थी सर्जरी
बात केवल भारत की नहीं है. दुनिया के कई नेताओं ने ‘अनफिट’ करार दिए जाने से डर से अपनी बीमारी को जनता से छिपाया. अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी (John F Kennedy) को ऐडिसन रोग था. जनता से यह बात छिपाई गई और राष्ट्रपति गुप्त रूप से दवाएं लेते रहे. अमेरिकियों को 1919 में वुडरो विल्सन (Woodrow Wilson) के स्ट्रोक के बारे में भी नहीं बताया गया. इसी तरह, 1893 में ग्रोवर क्लीवलैंड (Grover Cleveland) को अपने मुंह के कैंसर के चलते सर्जरी करानी थी, लेकिन वह अस्पताल नहीं जाना चाहते थे. क्योंकि इससे उनके कैंसर की बात आम हो जाती. कहा जाता है कि उनके एक दोस्त की यॉट पर गुप्त रूप सर्जरी को अंजाम दिया गया था.

फ्रांस और पाकिस्तान की कहानी
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति François Mitterrand का 1996 में प्रोस्टेट कैंसर से निधन हो गया था, लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने दो कार्यकाल पूरे किये थे. जायज है, वह काफी पहले से बीमार थे, मगर उनकी सेहत की जानकारी छिपाई जाती रही. हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में भी इसी तरह का उदाहरण है. मोहम्मद अली जिन्ना को तपेदिक था और आवाम को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उनके निधन के 72 साल बाद भी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में कहा था कि जिन्ना कैंसर से पीड़ित थे और इसके लिए उन्हें ट्रोल भी किया गया था.

शिंजो आबे के नाम यह रिकॉर्ड
इसके अलावा भी दुनिया में कई उदाहरण मौजूद हैं जब नेताओं ने सत्ता अपने पास रखने के लिए बीमारी छिपाई. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सभी नेताओं के समक्ष एक उदाहरण पेश किया है. बता दें कि शिंजो आबे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे हैं और इस दौरान उन्‍हें कई बार हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा है. खराब तबीयत के चलते शिंजो के इस फैसले की अटकलें पहले की लगाई जा रही थी. बताया जा रहा है कि पिछली बार जब आबे हॉस्पिटल गए थे तब वह करीब 7 घंटे तक वहां रहे थे. उनका कार्यकाल सितबंर 2021 तक है. वह जापान के सबसे ज्‍यादा समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं.


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