पुलिस के रवैये पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- किसी को गिरफ्तार करने से ही उसे अपराधी नहीं माना जा सकता

ग्वालियर: किसी की सिर्फ पुलिस गिरफ्तारी पर उसे अपराधी नहीं माना जा सकता है. यह टिप्पणी मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अरुण शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को की है. सुनवाई के दौरान जस्टिस अहलूवालिया ने आरोपियों के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करने व समाचार पत्रों में प्रकाशन करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने मप्र के डीजीपी के जनवरी 2014 में जारी उस सर्कुलर पर भी रोक लगाने का आदेश दिया, जिसमें पुलिस को आरोपियों का फोटो मीडिया में देने की अनुमति दी गई है.

पुलिस पर जबरन दुकान खाली कराने का मामला
याचिकाकर्ता अरुण शर्मा के खिलाफ बहोड़ापुर थाने में 29 जुलाई 2020 को शिकायत दर्ज की थी, कि अरुण शर्मा ना तो दुकान का किराया दे रहा है ना ही दुकान खाली कर रहा है यानी उसने उस दुकान पर कब्जा कर लिया है. एसआई दिनेश राजपूत ने एसआई सुजिता सिंह को इसकी जांच सौंपी. अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल के अनुसार एसआई सुजिता सिंह, सिपाही अचल शर्मा, अरुण शर्मा की दुकान पर पहुंचे और वहां से सामान उठा लाए. 14 अगस्त 2020 को पुलिस ने अरुण शर्मा को हिरासत में लेकर उनका फोटो आदतन अपराधी बताते हुए समाचार पत्रों में प्रकाशन कर व सोशल मीडिया में यह जारी करा दिया.

अरुण शर्मा ने दिया जांच आवेदन
पीड़ित अरुण ने इस मामले की शिकायत एसपी ग्वालियर से की जिसकी जांच हुई. इस जांच में पता चला कि याचिकाकर्ता निर्दोष है और उसके खिलाफ कोई भी प्रकरण पंजीबद्ध नहीं है. इस पर अरुण शर्मा ने पुलिस की कार्रवाई को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में अरुण के वकील सुरेश अग्रवाल ने याचिका दायर की, जिसपर जस्टिस आहूवालिया ने निर्देश जारी किए. वहीं याचिकाकर्ता ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने व छवि धूमिल करने पर मुआवजा दिलाने की मांग की है, जिसकी अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.


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