एक वक्त आएगा.. जब पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाएगा, तब क्या होगा?

Flexi Fuel: कहते हैं कि आवश्यकता, आविष्कार की जननी होती है. और काफी वक्त से ये आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि पेट्रोल-डीजल का विकल्प ढूंढा जाए. सब जानते हैं कि धरती पर Fossil Fuel.. सीमित है. इसलिए एक वक्त आएगा, जब पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाएगा, तब क्या होगा? अब ये Tension भी खत्म हो गई है. क्योंकि आने वाला कल, पेट्रोल-डीजल का नहीं, बल्कि Flexi Fuel का होगा. इस दिशा में भारत ने ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है.

भारत में पूरी तरह से Ethenol से चलने वाली कार Launch हो गई है. Toyota Motors की Innova-Hycross को Transport Minister नितिन गडकरी और Petroleum Minister हरदीप पुरी की उपस्थिति में, एक कार्यक्रम के दौरान आधिकारिक तौर पर Launch किया गया. Toyota Innova Hycross दुनिया की पहली Electrified Flex Fuel Car है. ये कार 100 प्रतिशत Ethenol पर चल सकती है, और Electric Energy भी Produce कर सकती है. खास बात ये है कि इस कार में इस्तेमाल होने वाला इंजन पूरी तरह से Made In India है. फिलहाल इसका Prototype तैयार किया गया है. जल्द ही इसका Production भी शुरु होगा.

हमें पता है कि आपके मन में इस कार को लेकर कई तरह के सवाल आ रहे होंगे. ये Flexi Fuel क्या होता है, Ethenol से कार कैसे चलती है, Ethenol तैयार कैसे होता है, ये पेट्रोल-डीजल का विकल्प कैसे बनेगा? इन सारे सवालों के जवाब आपको एक-एक करके, बेहद आसान भाषा में बताएंगे. लेकिन सबसे पहले आपको 100 Percent Ethenol से चलने के लिए तैयार की गई कार के बारे में बताते हैं.

Flex Fuel कार अब जल्द ही देश की सड़कों पर दौड़ने लगेंगी. तो अब आपको Flex Fuel के बारे में बताते हैं. जिसका नाम पिछले कुछ वर्षों से पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर Flex Fuel क्या होता है. जब दो ईंधनों को मिलाकर, गाड़ियों को चलाने के लिए एक ईंधन बनाया जाता है, उसे Flex Fuel कहते हैं. पेट्रोल या डीजल में Ethenol मिलाकर, जो ईंधन तैयार होता है, उसे ही Flex Fuel कहा जाता है.

आसान भाषा में कहें तो, पेट्रोल और Ethenol को मिलाकर तैयार हुए Fuel से चलने वाली गाड़ियों को Flex Fuel Vehicle कहा जाता है. लेकिन Flex Fuel तैयार करने के लिए सबसे जरूरी है Ethenol है. ये Ethenol क्या होता है ? अब ये समझिये. Ethenol, एक तरह का Alcohol है, जिसको पेट्रोल में मिलाकर, Fuel की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. ये गन्ने के रस और मक्का, सड़े आलू, और सड़ी सब्जियों और फलों से तैयार किया जाता है.

जिस तरह शराब बनती है, उसी तरह Fermentation से बने Ethenol को पेट्रोल में मिलाकर Flexi Fuel तैयार किया जाता है. Ethenol मुख्य तौर पर तीन तरह से तैयार किया जा सकता है. ये गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है. Second Generation Ethenol चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, भुट्टा, जैसे Cellulose खाद्य पदार्थों से तैयार होता है. और Third Generation Ethenol को Algae यानी काई से बनाया जाएगा. जिस पर अभी शोधकार्य चल रहे हैं. 

ये तो हुई Ethenol के उत्पादन की प्रक्रिया. जिसका इस्तेमाल Flexi Fuel तैयार करने में होता है. और Ethenol की मात्रा ही Flexi Fuel की Category यानी प्रकार तय करती है.  95 प्रतिशत पेट्रोल और 5 प्रतिशत Ethenol मिलाकर जो Flexi Fuel बनता है, उसे E5 कहते हैं. यानी Ethenol 5. इसी तरह E10 Flexi Fuel में 10 प्रतिशत Ethenol होता है. E20 में 20 प्रतिशत, और E85 में 85 प्रतिशत Ethenol होता है. भारत में Ethenol Based Flex Fuel को लेकर काफी वर्षों से काम चल रहा है. अभी भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 86 प्रतिशत पेट्रोल-डीजल आयात करता है. इसी निर्भरता को कम करने के लिए भारत सरकार ने E20 योजना तैयार की है.

भारत सरकार, वर्ष 2025-26 तक 20 प्रतिशत Ethenol मिले Flexi Fuel को पूरे देश में उपलब्ध करवाना चाहती है. इसी वर्ष जुलाई में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि अभी E20 Flexi Fuel देश के 1350 Petrol Pumps पर मिल रहा है. और वर्ष 2025 तक E20 Flexi Fuel, पूरे देश में उपलब्ध होगा.

अब आप पूछेंगे कि किन गाड़ियों में Ethenol मिला Flex Fuel इस्तेमाल होगा ? सरकार के मुताबिक जिन गाड़ियों में BS-4 और BS-6 स्टेज इंजन हैं, उन सभी गाड़ियो में Flex Fuel का इस्तेमाल हो सकता है. केंद्र सरकार ने पहले ही इंजन बनाने वाली कंपनियों को E20 पेट्रोल के लिए इंजन बनाने के निर्देश दे रखे हैं. हालांकि पुरानी गाड़ियों के इंजन में कुछ बदलाव करवाकर भी Flex Fuel का इस्तेमाल किया जा सकता है.

Ethenol को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बेहद उत्साहित रहते हैं. वो कई बार कह चुके हैं कि Ethenol से जब गाड़ियां चलेंगी तो पेट्रोल-डीजल की छुट्टी हो जाएगी. आज Toyota ने जो कार Launch की है, वो पूरी तरह से Ethenol पर चलने वाली कार है. लेकिन Flex Fuel की तकनीक नई नहीं है. जिस Ethenol Base Flex Fuel को भारत वर्ष 2025 तक बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है, ब्राजील उसे करीब पचास साल पहले ही अपना चुका है.

वर्ष 1975 में ब्राजील ने तेल के मामले में खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गन्ने से Ethenol बनाने का काम शुरु किया था. जुलाई 1979 में पहली बार ब्राजील में FIAT ने पूरी तरह से Ethenol पर चलने वाली कार Launch कर दी थी. आज ब्राजील में चलने वाली 93 प्रतिशत कारों में Flex Fuel इंजन लगा है. ब्राजील की 78 प्रतिशत गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले Fuel में 27 प्रतिशत Ethenol होता है. World Wild Life Fund Study का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक ब्राजील में Fuel की Demand का 72 प्रतिशत हिस्सा, Flex Fuel का होगा.

Flex Fuel के क्या फायदे होते हैं, इसका उदाहरण भी ब्राजील ही है. इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि Flex Fuel से कार्बन का उत्सर्जन कम होता है. इससे प्रदूषण कम होता है. साथ ही पेट्रोल-डीजल के मुकाबले ये सस्ता भी है. Statista.Com के मुताबिक ब्राजील में Ethanol Based Fuel के इस्तेमाल से 134 करोड़ टन, Carbon-Di-Oxide  का उत्सर्जन घट गया है. वर्ष 2019 में, सिर्फ एक साल में ही ब्राजील की अर्थव्यवस्था में एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है.

अब अगर भारत की बात करें तो Ethenol Based Flex Fuel से क्या फायदा होंगे. ये भी आपको बताते हैं. Experts के मुताबिक पहला फायदा ये होगा कि दूसरे देशों से कम तेल खरीदना पड़ेगा. सरकार का दावा है कि Ethenol के इस्तेमाल से, वर्ष 2014 से नवंबर 2022 तक 53 हजार 894 करोड़ रुपये की बचत हुई है. आने वाले वक्त में हर साल 30 हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है. दूसरा फायदा ये होगा कि पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम होगा. भारत में अभी Ethenol का Limited इस्तेमाल हो रहा है, तब भी इससे, वर्ष 2014 से नवंबर 2022 तक, 318 लाख टन, Carbon-Di-Oxide का उत्सर्जन कम हुआ है. 

तीसरा फायदा ये होगा कि किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. पिछले सात वर्षों में Ethenol बनाने के लिए तेल मार्केटिंग कंपनियां, किसानों को 81 हजार 796 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी हैं. Ethenol Based Fuel के फायदों को विस्तार से समझने के लिए हमने Expert से बात की है. ब्राजील, अमेरिका, स्वीडन, कनाडा और भी कई देशों में Green Fuel Ethenol का इस्तेमाल होता है. जहां ऐसी गाड़ियों को खरीदने के लिए वहां की सरकारें, Subsidy भी देती हैं. भारत जैसे देश के लिए, जो पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता है, Ethenol का उत्पादन बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. 

लेकिन यहां एक सवाल है. सवाल ये है कि क्या Ethenol बनाने के लिए देश में अतिरिक्त अनाज उपलब्ध है? वर्ष 2025 तक पूरे देश में E20 योजना को लागू करने के लिए 1020 करोड़ लीटर Ethenol की जरूरत होगी. इतनी बड़ी मात्रा में Ethenol उत्पादन के लिए 28 करोड़ टन अनाज, जैसे कि चावल, गेहूं, जौ, मक्का और गन्ने की जरूरत होगी. इतने अनाज को उगाने के लिए 71 लाख Hectare खेती योग्य जमीन की जरूरत पड़ेगी.

जिस देश में खाद्य सुरक्षा के तहत एक बड़ी आबादी को मुफ्त अनाज उपलब्ध करवाया जाता हो, वहां Ethenol बनाने के लिए इतनी बड़ी मात्रा में अनाज उपलब्ध होना किसी चुनौती से कम नहीं होने वाला. लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता ही है. एक बात तो तय है कि आने वाला भविष्य Ethenol का है. इस बात से ना तो इंकार किया जा सकता है, और ना मुंह मोड़ा जा सकता है.


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