कनाडा की राह पर चला चेक रिपब्लिक, बोला- ‘निखिल गुप्ता केस में भारत के पास अधिकार नहीं

चेक रिपब्लिक की जेल में बंद निखिल पर बड़ा अपडेट सामने आया है. चेक रिपब्लिक ने निखिल गुप्ता मामले में भारत के पास कोई न्यायिक अधिकार नहीं होने का दावा किया है. चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने कहा कि निखिल गुप्ता से जुड़े मामले में भारत के न्यायिक अधिकारियों के पास “कोई अधिकार क्षेत्र नहीं” है.  चेक गणराज्य का यह बयान निखिल गुप्ता के परिवार की ओर से भारत के सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका के बाद आया है, जिसमें निखिल गुप्ता को जेल से निकलवाने के लिए भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई है. 

पन्नून की हत्या की साजिश का आरोप

बता दें कि अमेरिका ने न्यूयार्क में रह रहे अलगाववादी सिख आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने का निखिल गुप्ता पर आरोप लगाया है. अमेरिका का कहना है कि इसके लिए शूटर हायर किए थे, जिन्हें फंडिंग निखिल गुप्ता ने की. निखिल गुप्ता को करीब 6 महीने पहले चेक गणराज्य में हिरासत में लिया था. तब से वे प्राग की एक जेल में बंद हैं. अमेरिका ने गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए चेक सरकार से संपर्क किया है और इससे संबंधित कार्यवाही चल रही है. 

‘भारतीय अफसरों के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं’

चेक गणराज्य की प्रवक्ता रेपका ने कहा, “भारत गणराज्य के किसी भी न्यायिक अधिकारी के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, मामला चेक गणराज्य के सक्षम अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र है. बता दें कि 52 वर्षीय गुप्ता के परिवार के एक सदस्य ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उस याचिका में अमेरिका को  प्रत्यर्पण रुकवाने और मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को निर्देश जारी करने की गुहार लगाई गई थी. 

जांच कमेटी बना चुका है भारत

अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने निखिल गुप्ता पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम करने का आरोप लगाया है. अमेरिका के आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है.

आरोपी को दिया जाएगा बचाव वकील’

रेपका ने गुप्ता के परिवार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में लगाए गए आरोपों का भी जवाब दिया कि चेक गणराज्य में उनका पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं है. प्रवक्ता ने कहा, चेक गणराज्य के लागू कानून के अनुसार, बचाव पक्ष के वकील को हमेशा उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहिए जिसके खिलाफ प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू की गई है. रेपका ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास उन मामलों में बचाव वकील नहीं है, जहां बचाव वकील होना चाहिए, तो सक्षम अदालत द्वारा तुरंत बचाव वकील नियुक्त किया जाएगा.


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