छत्तीसगढ़ में भी बनेगा ‘गजराज स्क्वायड’

अंबिकापुर। हाथी प्रभावित पश्चिम बंगाल और दक्षिण के राज्यों के अनुरूप सरगुजा वनवृत्त में भी कुछ नई तकनीक लागू करने का निर्णय लिया गया है। शहरों, गांवों, कस्बों में पहुंचने वाले हाथियों को रेस्क्यू कर प्राकृतिक आवास में छोड़ने के लिए सरगुजा वनवृत्त में गजराज स्क्वायड की स्थापना होगी।

प्रशिक्षित वन अधिकारियों, कर्मचारियों की टीम एक ऐसे सुसज्जित वाहन का उपयोग करेगी, जिसमें हाथियों को आबादी क्षेत्र से दूर रखने सारे संसाधन उपलब्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि शहरों, गांवों व कस्बों में पहुंचने वाले हाथियों को चिन्हित कर उन्हें रेस्क्यू पश्चात प्राकृतिक आवास में छोड़ने संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करने एसडीओ फारेस्ट चूड़ामणि सिंह व रेंजर एसबी पाण्डेय के नेतृत्व में टीम पश्चिम बंगाल के मिदनापुर और कोलकाता गई थी।

यहां हाथियों से बचाव के लिए उपयोग किए जा रहे तकनीक को लेकर सरगुजा के अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। प्रशिक्षण के अनुरूप स्थानीय स्तर पर व्यवस्था के लिए प्रस्तुत प्रतिवेदन के आधार पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। वन विभाग पश्चिम बंगाल के अलावा हाथी प्रभावित दक्षिण के राज्यों में मानव-हाथी द्वंद को कम करने तथा ग्रामीणों के जीवन, उनकी संपत्ति, फसल को नुकसान से बचाने तथा वन प्राणियों को उनके प्राकृतिक रहवास में रखने का प्रयास किया गया है।

विभागीय अमले को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने तथा उनकी प्रभावित स्थलों पर त्वरित उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है। इस हेतु सर्वसुविधायुक्त चारपहिया वाहन का भी उपयोग किया जाता है। पश्चिम बंगाल में इस वाहन को ऐरावत नाम दिया गया है।

यही व्यवस्था सरगुजा वनवृत्त में गजराज स्क्वायड के नाम से जानी जाएगी। वन मंडल स्तर पर छह सदस्यीय प्रशिक्षित ट्रेंक्यूलाइजर टीम गठन पर भी काम शुरू हो गया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकारियों ने जो अनुशंसा की है, उसके अनुरूप कई व्यवस्थाएं पहले से ही सरगुजा वनवृत्त में संचालित हो रही हैं, लेकिन कुछ नए उपाय सुझाए गए हैं। उन सुझावों पर भी अमल किया जाएगा।


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