Coronavirus का कहर: दुनियाभर में 10 लाख लोगों की हुई मौत, यह सिलसिला अभी जारी है

बाल्टीमोर: कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. संक्रमित और मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. दुनिया भर में हुई मौतों का आंकड़ा (Worldwide death toll) दस लाख तक पहुंच गया है. नौ महीनों के दौरान महामारी (Pandemic) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था (International Economy) को पहले ही तबाह कर दिया है. दुनिया भर के नेताओं की इच्छा शक्ति का भी परीक्षण किया है साथ ही जीने और काम करने के तरीके को बदलने के लिए मजबूर किया है.

मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने उठाए सवाल
कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते आंकड़े और मौते के इस भयावह आंकड़े के बाद मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan) में चिकित्सा इतिहास के प्रोफेसर डॉ हॉवर्ड मार्कल (Dr. Howard Markel) ने कहा है कि यह सिर्फ एक संख्या नहीं है बल्कि इनमें हमारी मां, बहन भाई, दोस्त हैं. डॉ हॉवर्ड मार्कल फरवरी में अपनी 84 वर्षीय मां को COVID -19 संक्रमण के चलते खो चुके हैं.

मानवीय संवेदनाएं जगाएं
उन्होंने सरकारी अधिकारियों से कहा है कि इस समय मानवीय संवेदनाओं को जगाना होगा. जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा रिकॉर्ड किया गया है अब ये संख्या यरूशलेम या ऑस्टिन, टेक्सास की आबादी से अधिक है. यह 2004 के भूकंप और हिंद महासागर में सुनामी में मारे गए लोगों की संख्या से चार गुना अधिक है.

कोरोना के मामले दबाने की कोशिश हुई
डॉ हॉवर्ड मार्कल ने कहा है कि कुछ देशों द्वारा अपर्याप्त या असंगत Coronavirus testing और Reporting व मामलों को छिपाने की कोशिशों ने स्थिति को बिगाड़ा है. उन्होंने कहा है कि आंकड़ा असलियत में और अधिक हो सकता है. प्रतिदिन औसतन लगभग 5,000 मौतें हो रही हैं.

अमेरिका में हर पांच में से एक की मौत
यूरोप में सैकंड वेव शुरू हो चुकी है. विशेषज्ञों को डर है कि वही हाल अमेरिका का न हो. जहां हर पांच में से एक की मौत हो रही है. जबकि अमेरिका धन और चिकित्सा संसाधनों के मामले में अन्य देशों की अपेक्षा कापी अच्छी स्थित में रहा है.

भर गए थे कब्रिस्तान, चर्च में रखने पड़े शव
‘The Pandemic Century: One Hundred Years of Panic, Hysteria and Hubris’ के लेखक मार्क होनिग्सबूम (Mark Honigsbaum) कहते हैं कि ये संख्या वास्तव में बहुत बड़ी है. भारत में इस वायरस ने 95,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है. उन्होंने कहा कि पिछले वसंत में इस वायरस के कारण कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची थी. रेव मारियो कारमिनाती ने अपने चर्च को शव रखने के लिए खोल दिया था. सबने देखा चर्च के गलियारे में 80 ताबूत रखे गए. उन्हें श्मशान ले जाने के बाद 80 और पहुंचे और फिर यह सिलसिला जारी रहा. इतना ही नहीं अगस्त में कारमिनाति ने इसी वायरस के चलते अपने 34 वर्षीय भतीजे को भी खो दिया.

चीन से हुई वायरस की शुरुआत
बता दें कि कोरोना वायरस का पहला मामला 2019 के अंत में चीनी शहर वुहान में आया था. जहां पहली मौत की सूचना 11 जनवरी को मिली थी. इससे बाद लॉकडाउन लगा दिया गया था. चीन की सरकार की इस वायरस के लिए काफी आलोचना भी हुई. उसने अन्य देशों को इस खतरे के प्रति सचेत नहीं किया. वह इसे छिपाता रहा.

डोनाल्ड ट्रंप ने नहीं लिया था गंभीरता से
उन्होंने कहा कि जर्मनी, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों की सरकार के नेताओं ने प्रभावी ढंग से काम किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और ब्राजील के जेयर बोल्सोनारो जैसे अन्य लोगों ने खतरे की गंभीरता और वैज्ञानिकों के अंदेशों को खारिज कर दिया. जबकि उस दौरान भी अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार रोगियों की भरमार थी. अमेरिका के बाद सबसे अधिक मौत लगभग 142,000 ब्राजील में हुई हैं. 76,000 से अधिक के साथ भारत तीसरे और मेक्सिको चौथे स्थान पर है.

एड्स से होने वाली सालाना मौतों से भी अधिक
अब यह आंकड़ा एड्स से होने वाली वार्षिक मौतों को भी पार कर गया है. एड्स से पिछले साल दुनिया भर में लगभग 690,000 लोगों की मौत हुई थी. कुल मिलाकर कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा किसी भी अन्य कारणों से मरने वालों से अधिक है. सबसे ज्यादा कोरोना वायरस मानवता पर चोट कर रहा है.


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