US Presidential Election 2020: ट्रंप जीतें या बाइडेन, भारतीयों के मतलब की है ये बात

नई दिल्ली: अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव नतीजों (US President Election 2020 Result) की घड़ी नजदीक आ गई है. अगला राष्ट्रपति कौन होगा? जल्द ये तय हो जायेगा. इस परिणाम में प्रत्यक्ष तौर पर भागादारी भले अमेरिकियों की दिखती हो लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को कभी कोई नजरअंदाज नहीं कर पाया. इस बार भी अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) हों या डेमोक्रैट प्रत्याशी जो बाइडेन (Joe Biden) दोनों की तरफ से भारतीयों को रिझाने की कोशिशें की जाती रहीं.

भारतीय परंपराएं, रीतिरिवाज पूजापाठ और खानपान तक सब अमेरिकी चुनावों में दिखा. सवाल उठता है, चुनाव के बाद अमेरिका की ‘थाली’ में भारत के लिये क्या?

चुनाव परिणाम का असर?
जानकारों का मानना है, ट्रंप या बाइडेन जो भी जीते लेकिन भारत के साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. डोनाल्ड ट्रंप शासन औ मोदी सरकार (Modi Government) के बीच बने अच्छे संबंध किसीसे छिपे नहीं हैं. ह्यूस्टन का ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की दोस्ती का गवाह है. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान भी इसका कई बार जिक्र किया. इसके बाद ट्रंप की भारत यात्रा को भी दुनिया ने देखा. गुजरात हो या ताजमहल (Taj Mahal) का दीदार मोदी ने मित्र ट्रंप की आगवानी में कोई कसर नहीं छोड़ी.

भारत के लिए बाइडेन-ट्रंप की भूमिका
वहीं अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति एवं डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन का रिकॉर्ड भी भारत के साथ बेहतर संबंधों का रहा है. बाइडेन का बराक ओबामा (Barack Obama) के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उप-राष्ट्रपति के रूप में मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की वकालत करने एक मजबूत रिकॉर्ड है. रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान भी बाइडेन ने उप राष्ट्रपति के तौर पर भारत (India) का साथ दिया. भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के पारित होने और द्विपक्षीय व्यापार में 500 अरब अमरीकी डालर का लक्ष्य निर्धारित करने में बाइडेन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसी वजह से बाइडेन के भारतीय नेतृत्व के साथ मजबूत संबंध हैं. विशेषज्ञों का मानना है बाइडेन की जीत भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक रहेगी.

बाइडेन का नजरिया
साथ ही बाइडेन की कोर टीम में भारतीयों की बड़ी संख्या है. उनकी तरफ से उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस (Kamala Harris) भारतीय मूल की हैं तो बाइडेन के दो प्रमुख सलाहकार भी भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा बाइडेन चुनाव के दौरान कह चुके हैं, ‘भारत के साथ मजबूत संबंधों को ओबामा-बाइडेन प्रशासन ने हमेशा प्राथमिकता दी. यदि मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो यह अब भी उच्च प्राथमिकता होगी.’ यह बयान हाल ही में दिल्ली में संपन्न 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान आया था.

ट्रंप की ताकत
वहीं ट्रंप की वासपी से चीन (China) को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करने में आसानी होगी. इस विषय पर दोनों देशों का साझा राष्ट्रीय हित है. भारत और अमेरिका फिलहाल इस दिशा में विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही ट्रंप शासन के दौरान हुए रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र के समझौतों को बल मिलेगा. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सकारात्मक पहल की उम्मीद है.

आशंका बरकरार
ट्रंप की वापसी से द्विपक्षीय व्यापार, विदेशी कामगारों के वीजा संबंधी मुद्दों पर मतभेद बने रहने की संभावना है. चूंकि ट्रंप प्रशासन भारत के साथ कोई बड़ा व्यापार समझौता अंजाम तक पहुंचाने में विफल रहा है. जबकि भारत और अमेरिका दोनों इस दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद जताते रहे हैं.

क्यों खास है भारत की भागीदारी
दरअसल अमेरिका में भारतीय मूल के 40 लाख लोग हैं. जिनमें 20 लाख वोटर हैं. अमेरिका के एरिजोना, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशिगन और टेक्सास समेत 8 सीटों पर भारतीयों के वोट काफी असरदार हैं. सियासी तौर पर यहां भारतीय मूल के लोग ताकतवर हैं. कुल 5 सांसद भारतीय मूल के हैं, अमेरिका में कुल 12 % भारतीय वैज्ञानिक हैं. NASA में 36% वैज्ञानिक भारतीय हैं. जबकि 38% डॉक्टर भारतीय हैं. अमेरिका की बड़ी Technology कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के 34% कर्मचारी भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा XEROX में भी भारतीयों का कब्जा है और यहां 13% भारतीय काम करते हैं. आईबीएम के कर्मचारियों में भारतीय मूल की संख्या 28% हैं. इस लिहाज से भारत के लिए अमेरिका चुनाव और अमिरका के लिए भारतीय मायने रखते हैं.


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