अमेरिकी संसद में ‘One China Policy’ रद्द करने के लिए बिल पेश, मुहर लगी तो Dragon को उठाना पड़ेगा नुकसान

वॉशिंगटन: अमेरिका (America) चीन को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी संसद में ‘वन चाइना पॉलिसी’ (One China Policy) को रद्द करने के लिए बिल पेश किया गया है, यदि इस बिल पर मुहर लगती है तो चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. सांसद टॉम टिफनी और स्कॉट पेरी (Tom Tiffany and Scott Perry) द्वारा पेश विधेयक में कहा गया है कि ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध बहाल किए जाएं और पुरानी हो चुकी ‘वन चाइना पॉलिसी’ को रद्द किया जाए.

Jimmy Carter ने चौंकाया था

अमेरिका जिस तरह का रुख चीन (China) को लेकर अपनाया हुआ है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि बिल पर मुहर लग सकती है. बता दें कि अमेरिका के 1979 तक ताइवान (Taiwan) की सरकार के साथ सामान्य राजनयिक संबंध थे, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर (Jimmy Carter) ने अचानक ताइपे के साथ औपचारिक संबंध समाप्त कर दिए और चीन के साम्यवादी शासन को मान्यता प्रदान की. उस वक्त से अमेरिका आधिकारिक तौर पर ताइवान को चीन का हिस्सा मानता रहा है, लेकिन अब अमेरिकी सांसदों ने ताइवान को अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल करने की मांग की है.

China के झूठ को US ने दोहराया’

इस बारे में सांसद टिफनी ने कहा कि पिछले करीब 40 सालों से अमेरिका में दोनों दलों के राष्ट्रपतियों ने बीजिंग के इस झूठ को कई बार दोहराया है कि ताइवान साम्यवादी चीन का हिस्सा है, जबकि वास्तविक सच्चाई इसके विपरीत है. लिहाजा, इस पुरानी हो चुकी नीति को बदलने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि ताइवान एक स्वतंत्र देश है और उसे इसी रूप में मान्यता मिलनी चाहिए. हम राष्ट्रपति जो बाइडेन से अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की सदस्यता को समर्थन देने और अमेरिका-ताइवान के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू करने की अपील करते हैं.

मिलेगी अलग पहचान

ताइवान को चीन एक स्वतंत्र देश के तौर पर मानने से इनकार करता रहा है, लेकिन अब यदि अमेरिका इसे अलग देश के रूप में मान्यता देता है तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान को अलग पहचान देगा और चीन को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी. वैसे, भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) पहले ही साफ कर चुके हैं कि चीन के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जाएगी. वह मानवाधिकारों के मुद्दे पर भी बीजिंग को कई बार कठघरे में खड़ा कर चुके हैं.

क्या है One China Policy?

वन चाइना पॉलिसी’ के तहत चीन हांगकांग और मकाऊ की तरह ही ताइवान को भी अपना हिस्सा मानता है. हालांकि ताइवान चीन की इस नीति को स्वीकार नहीं करता और वह खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करता आया है. वहीं, चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि दुनिया में अगर कोई देश उससे संबंध रखना चाहता है, तो उसे ताइवान से अपने सभी संबंध तोड़ने होंगे और उसे चीन के हिस्से के रूप में देखना होगा. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को विद्रोही प्रांत मानती है और उसे फिर से मुख्य भूमि में शामिल करने के प्रयास कर रही है.


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