आबादी से दूर नहीं हुए गैस सिलेण्डर गोदाम

लापरवाही ॥ महीनों पहले कलेक्टर ने दिए थे अधिकारियों को निर्देश
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
पिछले कई सालों से आबादी के बीच बने गैस गोदामों को शहर से बाहर करने की कवायद शुरू होने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही है। गैस गोदामों को शहर से बाहर करने की 15 जनवरी डेट लाइन दी गई थी, लेकिन एक माह गुजरने के बाद भी अभी गैस सिलेण्डर गोदाम शहर से बाहर नहीं हो सके हैं। घनी आबादी में बने इन गैस गोदामों के चलते लोगों की जान खतरे में बनी हुई है।
भोपाल जिले में इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान और भारत पेट्रोलियम कंपनी के 6 लाख 61 हजार 133 घरेलू गैस उपभोक्ता हैं, जबकि करीब एक लाख व्यवसायिक गैस कनेक्शन चल रहे हैं। इस लिहाज से रोजाना करीब बारह हजार सिलेंडर उपभोक्ताओं को दिए जाते हैं। शहर की 31 गैस एजेंसी के 28 गोदाम शहरी आबादी के बीच बने हुए हैं। इन गैस गोदामों से सिलेंडर उठाकर घरों पर डिलेवरी दी जाती है। यह गैस सिलेण्डर गोदाम नए व पुराने भोपाल के साथ ही अन्य स्थानों पर बने हुए हैं। जिला प्रशासन ने अधिकारियों को गैस सिलेण्डर गोदाम को शहर से बाहर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक कार्यवाही शुरू नहीं हो सकी है।
किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहा प्रशासन
शहरी आबादी में गैस सिलेण्डर बने होने के कारण लोगों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। जिला प्रशासन और एजेंसी संचालक शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि शायद हादसा होने के बाद ही गैस सिलेण्डर गोदामों को बाहर किया जाएगा।
कहां-कहां हैं गैस गोदाम
न्यू मार्केट के टीटी नगर दशहरा स्थित दुकानों में, रोशनपुरा स्थित जीटीबी काम्पलेक्स में, सुभाष नगर विश्रामघाट के पास, लालघाटी के आसपास, बैरागढ़, नीलबढ़, कोलार रोड के अलावा शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गोदाम बने हुए हैं।
कलस्टर क्षेत्र को किया नजर अंदाज
इसके पहले जिला प्रशासन गैस एजेंसी संचालकों को कलस्टर के हिसाब से चार जगहों पर गैस गोदाम बनाने की तैयारी कर रहा था। जिसके तहत इस क्षेत्र में कॉलोनी काटने की परमिशन नहीं दी जाती, लेकिन जमीन नहीं मिलने की वजह से अब गैस एजेंसी संचालकों से कहा जा रहा है कि खुद ही आबादी से बाहर गोदाम बना लें।
कलेक्टर के निर्देश बेअसर
कलेक्टर डॉ. सुदाम खाडे ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा था कि 15 जनवरी तक सभी गैस गोदामों को शहर से बाहर कर दिया जाए। कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देश को शायद अधिकारी भूल गए हैं, या तवज्जो नहीं दी गई है, जिसकी वजह से गोदामों को अभी तक शहर से बाहर नहीं किया जा सका है। जब इस संबंध में खाद्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा करनी चाही तो इस संबंध में उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है।
हम प्रशासन का सहयोग करने के लिए तैयार हैं, हमें वैकल्पिक स्थान उपलब्ध करा दिया जाएगा, तो गैस गोदाम शिफ्ट कर दिए जाएंगे।
> आरके गुप्ता, अध्यक्ष मप्र एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटर्स एसोसिएशन


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