नई दिल्ली : हम आधुनिक और युवा होने का दावा कर रहे हैं. नए विश्व के निर्माण के कसीदे पढ़े जा रहे हैं, लेकिन हालात ये हैं कि युवा तो बहुत दूर की बात हैं, हम नवजात बच्चों को भी सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं. बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ की मानें तो दुनिया में हर साल एक मिलियन यानी 10 लाख नवजात अपने जन्म के पहले दिन ही अपनी अंतिम सांस ले लेते हैं. यूनिसेफ ने मंगलवार को नवजात मृत्यु दर पर अपनी एक रिपोर्ट ‘एवरी चाइल्ड अलाइव’ (Every Child ALIVE) रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट जारी करते हुए भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक़ ने कहा कि नवजातों की उच्चतम मृत्युदर वाले, उन 52 देशों में भारत का स्थान 12वां है जिनकी आय निम्न-मध्यम है. वर्ष 2016 में छह लाख से अधिक बच्चों की जन्म के शुरूआती माह में ही मौत हो गई. उन्होंने कहा कि भारत में पिछले कुछ सालों में बच्चों के स्वास्थ्य मामलों पर खासा ध्यान दिया गया है, जिसके नतीजे भी अच्छे मिल रहे हैं, लेकिन अभी इसमें और भी काम करने की जरूरत है.

facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें