वन कर्मचारी मांग रहे न्यायिक मजिस्ट्रेट के समान अधिकार

विशेष संवाददाता ॥ भोपाल
चुनावी साल में वन विभाग के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। अब वन्य प्राणियों और जंगलों की सुरक्षा में लगे मैदानी अमले को शसस्त्र बल घोषित करने के साथ ही आईपीसी एवं सीआरपीसी में संशोधन कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के समान अधिकार देने की मांग उठने लगी है।
वन विभाग के मैदानी कर्मचारी बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों की गिनती करने का काम छोड़कर अब आंदोलन करने पर उतारु हो गए हैं। हाल ही में इन कर्मचारियों ने भोपाल आकर प्रदर्शन कर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इन कर्मचारियों ने मांगों का निराकरण नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। मप्र वन कर्मचारी संघ महामंत्री आमोद तिवारी बताते हैं कि वन कर्मचारी की जंगल और वन्य प्राणियों की सुरक्षा में लगे रहते हैं। उन्हें बंदूक थमा दी है, लेकिन चलाने के अधिकार नहीं दिए गए हैं। कई बार लकड़ी- खनिज माफियाओं और वन कर्मचारियों के बीच लड़ाई-झगड़े हो चुके हैं। इसमें वन कर्मचारियों के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज हो जाते हैं। इसी कारण वन कर्मचारियों को शसस्त्र बल घोषित करने के साथ ही आईपीसी एवं सीआरपीसी में संशोधन कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के समान अधिकार देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा उनकी मांगों में वन रक्षक से लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के सभी अधिकारी, कर्मचारियों को वर्दी अनिवार्य करने, अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 45 की उन्मुक्ति प्रदान करने, वन कर्मचारियों को राजस्व, पुलिस के समान निम्नानुसार वेतन देने, वर्ष 2001 के पश्चात नियुक्त वन रक्षकों को 56 8 0 का लाभ देने, जिन्हें लाभ प्राप्त हो चुका है उनकी वसूली पर रोक लगाना प्रमुख है।


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