निकायों में करोड़ों के गबन का खेल

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
राज्य सरकार अपने वित्तीय प्रबंधन को चाहे कितना ही व्यवस्थित और हाईटेक बताए प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी इसमें भी सेंध लगाने में कामयाब हो रहे हैं। प्रदेश में भुगतान की व्यवस्था पूरी तरह ऑनलाइन होने के बावजूद सरकार में गबन, अधिक भुगतान और भुगतान में गड़बडिय़ों के मामले नहीं रुक रहे हैं। वित्त विभाग की ही एक रिपोर्ट बताती है कि ऑनलाइन अथवा आरटीजीएस भुगतान की व्यवस्था होने के बावजूद भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा। नगरीय निकायों और पंचायतों जैसे सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार, गबन, अधिक भुगतान और गड़बड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
मप्र के वित्त विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निधि संपरीक्षा (लोकल फंड ऑडिट) वर्ष 2017 में गबन के 169 मामले पकड़े हैं। इनमें तीन करोड़ तीन लाख से अधिक की राशि का गबन किया गया है। इनमें से ज्यादा मामले नगरीय निकायों और पंचायतों के हैं। यह वह राशि है जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। ऑडिट की आपत्तियों में यह मामले सामने आए लेकिन कोई ठोस जवाब इन सरकारी संस्थाओं के जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं दे पा रहे हैं। गबन के इन मामलों के सामने आने के बाद वित्त विभाग भी तय नहीं पा रहा है कि इन मामलों में क्या कार्यवाही की जाएगी, जिससे इस राशि का हिसाब-किताब मिले। ऑडिट की आपत्तियां जारी करके ऑडिट विभाग ठंडा पड़ जाता है और वित्त विभाग की सख्ती भी ऐसे मामलों में सामने नहीं आती।
4727 मामले लंबित
राज्य की इन संस्थाओं में गबन के कुल 4727 मामले लंबित हैं, जिनकी जांच चल रही है। प्रारंभिक जांच में गबन होना सिद्ध हो गया है लेकिन इसके बाद यह सभी तरह की जांचें ठंडे बस्ते में हैं। इन मामलों में कुल 18 करोड़ 55 लाख से अधिक की राशि का हेरफेर हुआ है। वर्ष2107 के दौरान 16 9 प्रकरणों को मिलाकर यह संख्या है। इस साल के दौरान गबन के तीन मामलों का ही निराकरण हो पाया जिसमें दो करोड़ 12 लाख 6 हजार रूपए शासन के खाते में दोषियों से जमा कराए गए। 16 करोड़ 43 लाख से अधिक के चार हजार 724 मामले अभी भी लंबित हैं।
कैसी-कैसी गड़बडिय़ां
दोहरा भुगतान
इनमें एक ही बिल का दो बार भुगतान किया गया। इससे शासन को 26 लाख 28 हजार का चूना लगा।
अनियमित पेमेंट
इनमें शासन के नियमों के विपरीत अथवा नियमों में प्रावधान न होते हुए भी भुगतान किए गए। इससे सरकार को 73 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ।
अधिक भुगतान
इन प्रकरणों में शासन द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक राशि खर्च की गई। इससे शासन को 9 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ।
(यह सभी गड़बडिय़ां एक जनवरी 2017 से 31 दिसंबर तक पकड़ी गईं।)
ऑडिट आपत्तियों से बचाए 35 करोड़
ऑडिट टीमों ने स्थानीय निकायों, पंचायतों और विकास प्राधिकरणों पर ली गईं ऑडिट आपत्तियों से शासन को करीब 35 करोड़ का नुकसान से बचाया है। इसमें इन निकायों द्वारा भुगतान किए जाने बिलों की राशि में कटौती की गई।


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